Faridabad: एचएसवीपी, नगर निगम, स्मार्ट सिटी और अब एफएमडीए भी शहर को स्मार्ट बनाने के लिए मैदान में उतर चुका है। अरबों रुपए पानी की तरह बहा देने के बाद भी शहर स्मार्ट तो बन नहीं पाया बल्कि लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। संबंधित विभागों की लापरवाही अथवा भ्रष्टाचार की वजह से ग्रेटर फरीदाबाद की विभिन्न सोसायटियों में रहने वाले लोग लाखों रुपए के मकान खरीदने के बाद खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
पानी, सीवर, सडक़ की समस्या, बिल्डरों की मनमानी और दबंगों के आतंक के साये में जी रहे ग्रेफ निवासियों को फिलहाल स्ट्रीट लाइटों की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। ग्रेटर फरीदाबाद के करीब डेढ़ दर्जन सेक्टरों को जोडऩे वाला मास्टर रोड शाम ढलते ही अंधेरे में डूब जाता है। स्थानीय निवासियों द्वारा शिकायत करने पर एचएसवीपी और बिजली निगम के अधिकारी एक दूसरे को इस समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। सडक़े जगह जगह टूट जाने से इनमें गड्ढे बने हुए हैं। ऐसे में स्ट्रीट लाइटें न जलने से यह गड्ढे वाहन चालकों के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहे हैं। समस्या के समाधान के लिए ग्रेटर फरीदाबाद के निवासी जल्दी ही आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं।
अंधेरे के आगोश में ग्रेफ
ग्रेटर फरीदबाद की सोसायटियों में रहने वाले लोगों ने इलाके के विकास के लिए ईडीसी के रूप में बिल्डरों के माध्यम से अरबों रुपये एचएसवीपी को दिया है। एचएसवीपी की तरफ से ग्रेटर फरीदाबाद की सभी प्रमुख सडक़ों का निर्माण करवाने के साथ साथ स्ट्रीट लाइटें भी लगवाई गई हैं। इन स्ट्रीट लाइटों के लिए बिजली की आपूर्ति डीएचवीपीएन द्वारा की जाती है लेकिन पिछले लंबे समय से शाम ढलते ही ग्रेटर फरीदाबाद की मास्टर रोड समेत अन्य कई प्रमुख सडक़े अंधेरे में डूब जाती है। ऐसे में शाम ढलने के बाद सोसायटी के निवासियों खास कर महिलाओं का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। सुनसान सडक़ों पर अंधेरा होने से अनहोनी होने का डर सताने लगता है। मास्टर रोड पर तो करीब करीब पूरी तरह अंधेरा छाया रहता है। विभिन्न सेक्टरों में रहने वाले लोग मास्टर रोड और अन्य सडक़ों की लाइटों जलवाने के लिए लगातार शिकायतें करते आ रहे हैं, लेकिन एचएसवीपी और बिजली निगम के अधिकारी इस ओर ध्यान देने की जरूरत ही महसूस नहीं कर रहे हैं। जिससे लगता है कि इन्हें यहां किसी बड़े हादसे का इंतजार है।
एक दूसरे पर डालते हैं जिम्मेदारी
ग्रेटर फरीदाबाद के निवासियों की माने तो उनका कहना है कि स्ट्रीट लाइटों की समस्या को लेकर वे लगातार एचएसवीपी और बिजली निगम के अधिकारियों से शिकायत करते आ रहे हैं। बिजली निगम के अधिकारियों उन्हें यह कह पल्ला झाड़ लेते है कि उनकी तरफ से स्ट्रीट लाइटों को बिजली की आपूर्ति की जा रही है। स्ट्रीट लाइटों में मौजूद खराबी की वजह से वह नहीं जल पा रही है। जबकि एचएसवीपी के अधिकारियों का कहना होता है कि मास्टर रोड और अन्य प्रमुख सडक़ों की स्ट्रीट पूरी तरह दुरूस्त है। बिजली निगम द्वारा स्ट्रीट लाइटों की आपूर्ति रोक दी जाती है। एचएसवीपी का कहना है कि बिजली कर्मचारी बिजली का जम्फर लाइन से हटा की उसके हैंडल पर ताले लगा कर चले जाते हैं। बिजली कर्मचारियों की तरफ से स्ट्रीट लाइटों की बिजली बंद कर अन्य स्थानों पर आपूर्ति की जा रही है। दोनों विभागों के बीच तालमेल के अभाव और अन्य कारणों से ग्रेटर फरीदाबाद के लोगों को इन दिनों रात के समय अपनी जान जोखिम में डाल कर सडक़ों पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
प्रशासन को हादसे का इंतजार
ग्रेटर फरीदाबाद की करीब 25 से ज्यादा सोसायटियों में करीब दो से ढाई लाख की आबादी रहती है। बिल्डरों द्वारा दिखाये गए हसीन सपनों की वजह से इन लोगों ने लाखों रुपए देकर अपने परिवारों के मकान खरीदे थे, लेकिन ग्रेटर फरीदाबाद की दुर्दशा को देखकर ज्यादातर लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। यहां के निवासियों को पहले बिल्डरों के शोषण का शिकार होना पड़ा। जब यहां रहने लगे तो दबंगों की मनमानी का शिकार होते हुए लुटना पड़ रहा है। इस सबके बावजूद लोग किसी तरह गुजारा कर रहे है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस इलाके की प्रमुख सडक़ों में शामिल मास्टर रोड करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा सेक्टरों को जोड़ती है। फिलहाल यह सडक़ बुरी तरह दुर्दशा का शिकार हो चुकी है। एक बार सडक़ बनवाने के बाद दोबारा इसकी मरम्मत तक नहीं करवाई गई। रात को स्ट्रीट लाइटें न जलने की वजह से इस सडक़ पर बने गड्ढे वाहन चालकों के लिए जानलेवा साबित होने लगते हैं। वहीं महिलाओं के लिए रात को घर से निकलना मुश्किल हो रहा है।
आंदोलन करने को मजबूर
समाजसेवी एवं ग्रेटर फरीदाबाद की निवासी रेनू खट्टर का कहना है कि मास्टर रोड और इलाकों की अन्य सडक़े जर्जर हालत में है। ऊपर से रात को सडक़ों की स्ट्रीट लाइटें नहीं जलती। शाम ढलते ही पूरे इलाके में अंधेरा छा जाता है। लगातार शिकायत करने के बाद भी दोनों विभाग एक दूसरे की गलती बता कर पल्ला झाड़ रहे हैं। यदि जल्दी ही समस्या का समाधान नहीं हुआ तो इलाके के लोगों को धरना देकर बैठना पड़ेगा।