डॉ शीला भगत लोगों में जागरूकता फैलाकर कर रही हैं गंभीर बीमारियों से बचाने का प्रयास

खानपान और जीवनशैली में आए बदलाव से लोग टीबी और अन्य कई खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इनमें से कई बीमारियां तो ऐसी हैं, जो जागरूकता के अभाव में व्यक्ति को अपनी चपेट में ले रही है।

Faridabad

खानपान और जीवनशैली में आए बदलाव से लोग टीबी और अन्य कई खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इनमें से कई बीमारियां तो ऐसी हैं, जो जागरूकता के अभाव में व्यक्ति को अपनी चपेट में ले रही है। इस बात को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी सिविल सर्जन के पद कार्यरत डॉ. शीला भगत और उनकी टीम विभिन्न तरीकों से लोगों को इन गंभीर रोगों के प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रही है।

डॉ. भगत का कहना है कि वे स्वास्थ्य विभाग टीबी, कुष्ठरोग, एचआईवी, ओएसटी और मानसिक रोगों से का बचाव का काम कर रहा है। इन तमाम बीमारियों में जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है। यदि समय रहते इन बीमारियों की जांच हो जाए तो व्यक्ति का इलाज सम्भव है। समय पर इलाज मिलने से एचआईवी पीडि़त व्यक्ति भी साधारण जीवन जी सकता है। पेश हैं सिटीस्पाइडी संवाददाता से डॉ. शीला भगत की बातचीत के कुछ अंश :-

सवाल : जिले में टीबी से बचाव के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं ?

जबाव : टीबी से बचाव के लिए वे लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने का प्रयास करते हैं, क्योंकि टीबी का एक मरीज 15 लोगों को बीमार बना सकता है। समय पर जांच हो जाने से न केवल मरीज का इलाज सम्भव है, बल्कि इसे फैलने से भी रोका जा सकता है। टीबी के मरीजों की मुफ्त जांच और इलाज किया जाता है। जब तक इलाज चलता है, तब तक मरीज को 500 रुपये हर महीने दिया जाता है।

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सवाल : कुष्ठरोग के क्या लक्षण है और जिले में इस बीमारी के कितने मरीज हैं ?

जबाव : इस बीमारी के लक्षणों की जांच बेहद सरल है। इसकी जांच का प्रशिक्षण आशावर्करों को दिया गया है। जो घर घर जाकर न केवल लोगों को जागरूक कर रही है, बल्कि उनकी जांच भी कर रही है। जांच के बाद तुरंत इलाज शुरू होने से मरीज को अपंग होने से बचाया जा सकता है। फिलहाल में 57 मरीजों का इलाज चल रहा है।

सवाल : एचआईवी से बचाव के लिए विभाग की तरफ से क्या प्रयास हो रहे हैं ?

जबाव : जागरूकता की कमी के कारण लोग एचआईवी की चपेट में आते हैं। समय रहते बीमारी का पता चलने पर इलाज के जरिए इसे वहीं का वहीं रोका जा सकता है। विभाग की तरफ से लगातार ट्रांसपोर्ट नगर और संवेदनशील इलाकों में जागरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं। हर महीने 60 से 70 हजार मरीजों की जांच की जा रही हैं। जिनमें से 300 से 350 एचआईवी पॉजीटिव पाए जाते हैं।

सवाल : ओएसटी क्लीनिक के जरिए नशे से मुक्ति दिलाने के क्या प्रयास हो रहे हैं।

जबाव : नशे की लत के कारण कई तरह समस्याएं खड़ी होती है। जिसके कारण विभाग लोगों को नशे से बचाने का प्रयास कर रहा है। इंजेक्शन से नशा लेने से कई बार व्यक्ति एचआईवी का भी शिकार बन जाता है। ऐसे लोगों का वे टेबलेट के जरिए इलाज कर रहे है। फिलहाल 60 से 70 मरीजों का इलाज चल रहा है।

सवाल : मानसिक रोगों से बचाने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं।

जबाव : मानसिक रोगों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग द्वारा समय समय पर जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाता है। इस तरह के शिविर जिला जेल, स्कूलों, वृद्धाश्रम और इस तरह के अन्य स्थानों पर लगाए जाते हैं।

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