Noida: तेज़ाब से हमले के बाद जख्म तो भर जाते हैं लेकिन शरीर पर इनके निशान, चेहरा खो जाने का सदमा मनोवैज्ञानिक स्तर भी पर पीड़ित को तोड देता है., उसे भेदभाव का शिकार होना पड़ता है कभी अपनों से तो कभी गैरो से उनके मनोबल पर गहरा असर होता है और वे खुद को अलग-थलग महसूस करती हैं. जिंदगी की ऐसी कहानियों रूबरू हो कर भी इन एसिड अटैक सर्वाइवर ने अपनी अलग पहचान बनाई है. एसिड अटैक सर्वाइवर (acid attack survivor) को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए छांव फाउंडेशन एनजीओ (Chhanv Foundation) अहम भूमिका निभाई है, अब उसे नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) का साथ मिला है नोएडा स्टेडियम में दो क्योस्क एसिड अटैक सर्वाइवर को दिया गया है. इनकी संचालन को छांव फाउंडेशन एनजीओ करेगा, लेकिन यहां सिर्फ एसिड अटैक सर्वाइवर काम करेंगी।
शीरोज हैंगआउट कैफे नोएडा स्टेडियम सेक्टर-21ए के गेट ना 4 पर एक खेल परिषद कार्यालय के निकट बना हुआ है जिसका उद्घाटन पूर्व मंत्री और स्थानीय सांसद डॉ महेश शर्मा, विधायक पंकज सिंह और सीईओ नोएडा रितु माहेश्वरी ने किया. इस डॉ महेश शर्मा ने कहा ये इन लड़कियों जीवन का संघर्ष काल है एक डॉक्टर होने के नाते इस दर्द को करीब से देखा है. पंकज सिंह का कहा कि एसिड अटैक सर्वाइवर के प्रति सरकार का रुख बदला है जिससे उनके जीवन आशा की किरण जगी है और एसिड अटैक सर्वाइवर ने स्वावलंबी बन कर उन लोगों के चेहरे पर तमाचा मारा है.
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नोएडा प्राधिकरण मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी का कहना है कि ये छोटा सा प्रयास है नोएडा प्राधिकरण अपने सामजिक दायित्वों के प्रति, हम उनकों प्लेटफार्म दे रहे है अपनी जिदगी की गाड़ी को फिर से पटरी पर लाने और खुद के पैरों पर खड़े होकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का वहीं काम में व्यस्त रहने और लोगों से मिलने-जुलने से इनका दर्द भी हद तक कम होगा। अभी संस्था को दो क्योस्क दिया जा रहा है। इसका रिस्पांस देखकर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
शरीर पर निशान, चेहरा खो जाने का सदमे से मनोवैज्ञानिक स्तर पर उभर कर नई पहचान बना रही है एसिड अटैक सर्वाइवर लडकियां@rituias2003 pic.twitter.com/FRhJeqzkTH
— CitySpidey (@cityspideyhindi) May 18, 2022
एसिड अटैक सर्वाइवर के लिए काम करने वाली छांव फाउंडेशन संस्था के संस्थापक आलोक दीक्षित ने कहा कि वर्ष 2013 में दिल्ली से स्टाप एसिड अटैक अभियान की शुरुआत की। इसमें देशभर के एसिड अटैक सर्वाइवर को अपने साथ न सिर्फ जोड़ा, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास भी किया। इसके बाद वर्ष 2016 में यह अभियान लखनऊ पहुंचा। संस्था ने यहां भी कैफे का संचालन शुरू कराया।
छांव फाउंडेशन संस्था के साथ अब तक 50 से अधिक एसिड अटैक सर्वाइवर जुड़ चुकी हैं। इसमें से वर्तमान में 35 काम कर रही हैं। नोएडा प्राधिकरण की ओर से दो क्योस्क दिया जा रहा है। इसमें शीरोज हैंग आउट कैफे का संचालन होगा। इसमें हरियाणा की रितु सैनी, बिजनौर की अंशु राजपूत व उत्तर प्रदेश के अन्य शहर से सीमा राजपूत कैफे का संचालन करेंगी। उन्होंने बताया कि संस्था के साथ जुड़ी सर्वाइवर के लिए रहने, खाने, शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधित सुविधाएं देने के साथ उनके बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य का जिम्मा भी संस्था उठा रही है।