आखिर दूसरी प्राथमिकी दर्ज हुई M3M बिल्डर, कदम डेवलपर व इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस कंपनी पर

200 करोड़ रुपए शुल्क बचाने के लिए धोखाधड़ी

Noida न्यूज़

ग्रेटर नोएडा : – सरकारी राजस्व बचाने के मामले में ग्रेटर नोएडा की बीटा-2 कोतवाली में M3M बिल्डर, कदम डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड एवं इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया. यमुना अथॉरिटी की ओर से यह मामला दर्ज कराया गया है.

इससे पहले इन्ही संस्थाओं व 18 निदेशकों के खिलाफ गाजियाबाद के शिप्रा समूह ने 5 दिन पहले इंदिरापुरम थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी. इस तरह से धोखाधड़ी के इस मामले में दो दो प्राथमिकी दर्ज हो गई हैं.

शिप्रा समूह की और से दर्ज कराई गई पहली ऍफ़ आई आर के बाद से हरकत में आये यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से दर्ज करवाई गई है।. नोएडा के सेक्टर-128 में 73 एकड़ जमीन के अवैध हस्तानांतरण को लेकर यमुना अथॉरिटी की ओर से 3 दिन पहले गौतमबुद्ध नगर पुलिस को शिकायत दी गई थी. इस मामले में यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ.अरुणवीर सिंह ने एफआईआर दर्ज करवाने का आदेश दिया था. साथ ही इन जमीनों पर बनने वाले प्रोजेक्ट के नक़्शे पास न करने व नक़्शे रद्द करने के पत्र भी उच्च अधिकारियों को दिए थे.

विदित हो कि यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण करने के लिए अथॉरिटी ने जेपी इंफ्राटेक कंपनी को 5 स्थानों पर 2,500 हेक्टेयर जमीन दी थी. इसमें से सेक्टर-128 में जेपी समूह ने 73 एकड़ जमीन कदम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को बेची थी. बाद में प्राधिकरण से अनुमति से इस जमीन को इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पास गिरवी रख दिया.

बृजेश कुमार कश्यप ने पुलिस को शिकायत देते हुए कहा था कि प्राधिकरण ने कुछ शर्तों के साथ अपने हितों को सुरक्षित रखते हुए जमीन गिरवी रखने का अनुमति पत्र जारी किया था। जिसमें दो महत्वपूर्ण शर्ते हैं. पहली शर्त यह है कि प्राधिकरण की बकायदारी गिरवी और बिक्री के बावजूद सुरक्षित रहेगी. दूसरी शर्त के अनुसार यदि जमीन का आवंटन किसी को किया जाता है तो पहले प्राधिकरण से अनुमति लेनी पड़ेगी. किन्तु इस मामले में प्राधिकरण से अनुमति न लेते हुए जमीन को पहले को कदम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने इंडिया बुल्स को ट्रांसफर किया, बाद में इंडिया बुल्स ने जमीन एम3एम बिल्डर को बेच दी.

शिप्रा समूह की ओर से दर्ज करवाई गई एफआईआर के बाद ज्ञात हुआ कि प्राधिकरण की अनुमति लिए बिना और जरूरी जानकारियों को छिपाकर, राजस्व बचाते हुए इन कंपनियों ने जमीन का स्थानांतरण किया है. शिप्रा समूह ने इस मामले की गाजियाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में शिकायत दी थी. डीएम ने मामले में इंदिरापुरम थाने को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. अब दूसरी बार बीटा-2 कोतवाली में पुलिस ने यमुना अथॉरिटी के अधिकारी की शिकायत के आधार पर इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, एम3एम कंपनी, मैसर्स कदम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स बीकन ट्रस्टीशिप लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. इन सभी लोगों के खिलाफ धारा संख्या 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है. विदित हो कि इस प्रक्रिया में दो बार ट्रांसफर करने पर लगभग 200 करोड़ रुपए शुल्क प्राधिकरण को चुकाना होगा.

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