फ्यूज़न म्यूज़िक (Fusion music) की बात आने पर इंडियन ओशियन बैंड (Indian Ocean Band) किसी परिचय का मोहताज़ नहीं लगता है। फ्यूज़न म्यूज़िक में अपनी ख़ास जगह बनाए हुए इंडियन ओशियन बैंड अपने 33वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस उपलब्धि ने इंडियन ओशियन बैंड को भारत के सबसे पुराने फ्यूज़न बैंड्स में से एक बना दिया है। भारत के इस फ्यूज़न रॉक शैली के अग्रणी बैंड में निखिल राव, असीम चक्रवर्ती, राहुल राम, हिमांशु जोशी और तुहीन चक्रवर्ती शामिल हैं। देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित मंचों पर यह बैंड अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवा चुका है।
इंडियन ओशियन बैंड फ़्यूजिंग राग की एक प्रयोगात्मक शैली है, जिसमें ये लोगों के बीच रॉक म्यूज़िक, गिटार के साथ पारंपरिक भारतीय धुनों के अलावा श्लोक, भेजन, सूफ़ीवाद और पौराणिक कथाओं के साथ भारतीय लोक गीतों का भी
उपयोग करते हैं। उन्होंने मसन, ब्लैक फ्राइडे, हल्ला, भूमि, पीपली लाइव, मुंबई कटिंग, गुलाल, ये मेरा ये तेरा, कनपुरिए जैसी कई फिल्मों में अपनी आवाज़ दी है। ‘लीविंग होम लाइफ एंड म्यूजिक ऑफ इंडियन ओशियन’ नाम से उनके जीवन पर एक डॉक्युमेंट्री भी बनाई जा चुकी है।
2013 में इस बैंड के संस्थापक सदस्य सुष्मित सेन के गुज़र जाने के बाद राहुल राम एकमात्र संस्थापक सदस्य हैं, जो बैंड के पहले एल्बम इंडियन ओशियन में दिखाई दिए। वह एक सक्रिय कार्यकर्ता हैं और सामाजिक राजनीतिक व्यंग्य समूह ‘ऐसी तैसी डेमोक्रेसी’ के सदस्य भी हैं। इस ग्रुप में राहुल राम बास गिटारिस्ट और वोकलिस्ट हैं, अमित किलम ड्रम बजाते हैं और वोकलिस्ट भी हैं, हिमांशु जोशी वोकलिस्ट हैं, निखिल राव गिटारिस्ट हैं और तुहीन चक्रवर्ती तबला बजाते हैं।
पिछले दिनों जब इंडियन ओशियन ने ग्रेटर नोएडा में आयोजित सांस्कृतिक उत्सवों की श्रृंखला ‘कलरव’ में अपनी प्रस्तुति दी थी, तब सिटीस्पाइडी को इस ग्रुप के सदस्यों से बात करने का मौका मिला था। प्रस्तुत है, उसी लंबी बातचीत के कुछ अंश।
– दिल्ली से होने के नाते एनसीआर में परफॉर्म करने के दौरान आप को कैसा लगता है?
इंडियन ओशियन बैंड के प्रमुख गिटारवादक निखिल राव कहते हैं, ग्रेटर नोएडा में यह हमारा पहला प्रदर्शन है और यहां एक बड़ी भीड़ है। बैंड के सभी लोगों ने दिल्ली के कॉलेजों के अनेक कार्यक्रमों में भाग लिया है। हमने अपना जीवन यही व्यतीत किया है और एनसीआर में प्रदर्शन करना खुशी की बात है। यहां परफॉर्म करना अपने कंफर्ट ज़ोन में रहने जैसा है। हम दोपहर में पहुंचते हैं, सेटअप करते हैं, शाम को प्रदर्शन करते हैं और रात को घर जा सकते हैं। लोगों के सामने परफॉर्म करना बहुत अच्छा एहसास है। वे मुस्कारते हुए कहते हैं कि कुछ भी कह लो, अपनी पिच पर अपने होमग्राउंड में बैटिंग करने का मज़ा ही कुछ और होता है।

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– रॉक के साथ हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का फ्यूज़न निश्चित रूप से भारत के लिए एक नई शैली है। हमें इसके बारे में कुछ और बताएं।
निखिल राव कहते हैं, जिस समय हमने शुरुआत की थी, उस समय कई बैंड थे, जो केवल बड़े बैंड्स की नकल कर रहे थे। समकालीन बैंड या तो केवल अंग्रेजी गाने गा रहे थे या पश्चिमी संगीत परोस रहे थे। चाहे वे मौलिक गीत लिख रहे थे, पर वह सब भी था अंग्रेज़ी में ही। हम भी अपने बैंड में कुछ मौलिक संगीत बजाना चाहते थे और अपने दर्शकों से एक अनूठी भाषा में संवाद कायम करना चाहते थे। हमारा एक दृढ़ विचार था कि हम अपने दर्शकों को उनकी मूल भाषाओं में ही बेहतर से बेहतर देंगे, इसीलिए हम बहुत हद तक भारतीय शास्त्रीय संगीत, राग, ठुमरी का उपयोग करते हैं।
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– खबरों के अनुसार, इंडियन ओशियन बैंड की शुरुआत वर्ष 1990 में हुई थी, लेकिन कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि इसे बहुत पहले 1986 में शुरू किया गया था। इसके शुरू होने का सही वर्ष क्या है?
गिटारवादक निखिल राव कहते हैं कि उस समय हम बैंड में नहीं थे। रोशन चक्रवर्ती और सुष्मित सेन संस्थापक सदस्य थे। उन्होंने टू पीस बैंड के रूप में काम किया। वे वर्ष 1986 में भारतीय फ्यूज़न संगीत और भारतीय लोक संगीत बजा रहे थे, जैसे कॉलेज समारोहों में प्रदर्शन करना और बिट्स पिलानी तथा आईआईटी दिल्ली जैसे कॉलेज समारोहों के लिए म्यूज़िकल जर्नी तय करना। धीरे धीरे अधिक से अधिक लोग बैंड में शामिल होने के लिए आगे आए। राहुल राम 1991 में और अमित किलम 1994 में शामिल हुए। 1993 से 2005 इंडियन ओशियन बैंड के लिए सुनहरा दौर था, जो बहुत ही लाजवाब साबित हुआ।
– राहुल राम ‘अरे रुक जा रे बंदे’ और ‘कंडिसा’ जैसे विश्व स्तर पर प्रशंसित गीतों की रचना और इस व्यापक प्रशंसा के बाद आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
राहुल राम कहते हैं, कंडीसा हमारा गाना नहीं है। यह एक भजन है, मैंने अपने मित्र को केरल के एक चर्च में इसे गुनगुनाते हुए सुना। मैंने उनसे सीखा और उस दोस्त को कभी नहीं भुला पाऊंगा। मुझे सालों से मिल रहे सभी प्यार के लिए निस्संदेह खुशी का एहसास होता है। हम अपने संगीत को उसकी सफलता से नहीं आंकते। इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता। कुछ गाने जो हिट होने चाहिए थे, फ्लॉप हो गए और कई बार जिस गाने को लेकर हम बहुत ज़्यादा उम्मीद में नहीं थे, वह ब्लॉकबस्टर बन जाता है। यह एक मार्केटिंग का खेल हो सकता है।

– रिहर्सल के दौरान कैसा होता है माहौल?
तबला वादक तुहीन चक्रवर्ती कहते हैं, हम साथ में सीखते हैं, हंसते हैं और साथ में खूब मस्ती करते हैं। हमारे साथ यारी-दोस्ती वाला मामला है। हमारे बीच कोई छोटा या बड़ा नहीं है। हम सब दोस्त हैं और एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ हैं।

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– कहा जाता है कि इंडियन ओशियन बैंड संगीत कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट के खिलाफ है और वे दूसरे ब्रांड्स के साथ भी काम नहीं करते। क्या यह बैंड को प्रभावित नहीं करता ?
बैंड के ड्रमिस्ट और वोकलिस्ट अमित किलम कहते हैं, हम कंपनियों या अनुबंधों के खिलाफ नहीं है। कभी-कभी हम ऐसा करते हैं और कभी कभी ऐसा नहीं करते। हम अपने मूल्यों को तोड़े बिना बैंड में सभी के लिए सबसे अच्छा विकल्प देखते हैं।

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– आप ग्रेटर नोएडा में कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं?
इस पर तबला वादक तुहीन चक्रवर्ती कहते हैं, “जगह के नाम की ही तरह ‘ग्रेटर’। 2009 में बैंड में शामिल हुए तुहीन चक्रवर्ती का कहना है कि नई जगहों का पता लगाना और नए लोगों से मिलना हमेशा एक अच्छा एहसास होता है। हर किसी की एक अलग शैली होती है और हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास स्वाभाविक प्रशंसक है। अगर आप आप कहते हैं कि हम हिट हैं तो मैं कहूंगा कि यह शायद इसलिए है, क्योंकि हम अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं। हम संगीत के चलन के साथ नहीं जाते। यदि वर्तमान में पंजाबी संगीत का फैशन है तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम पंजाबी गीत या नोट्स लिखना शुरू कर देंगे। 1997 में एक बयार चली थी कि हर कोई देशभक्ति गीत बना रहा था। बीच में सूफ़ीवाद प्रबल था। हर कोई सूफ़ी गाने के लिए इस शैली के पीछे दौड़ रहा था। वे अब कहां है?
– बैंड के सदस्यों में से एक असीम चक्रवर्ती ने 2009 में अपनी जान गंवा दी, जिसने इंडियन ओशियन बैंड पर एक बड़ा प्रभाव छोड़ा। बैंड ने इस नुकसान को कैसे दूर किया?
अमित किलम कहते हैं कि जब आप किसी के साथ रहते हैं, चाहे वह दोस्ती हो, पार्टनरशिप हो, प्रेम हो, यहां तक कि यदि आपके परिवार में भी कोई 15 -16 साल से भी अधिक समय से हो तो उसकी कमी को भरना आसान नहीं होता है। हमारे लिए असीम अपूरणीय क्षति थे, लेकिन यही जीवन है हम सबको आगे बढ़ना होता है और परिवर्तनों को स्वीकार करना होता है। हिमांशु एक बहुत अच्छा रिप्लेसमेंट रहा है और अपनी आवाज़ और संगीत के साथ अद्भुत काम कर रहा है।
– जब लोग हिमांशु की तुलना असीम से करते हैं तो कैसा लगता है?
जवाब में हिमांशु ही कहते हैं, हमारे बीच कोई तुलना नहीं है। लोग मुझसे पूछते हैं कि असीम की जगह कैसा लगता है? मैं इस सवाल पर ज्यादा ध्यान नहीं देता, क्योंकि हर किसी की एक अलग पहचान होती है। न हम म्यूजिक को जज कर सकते हैं और न ही हम इसकी तुलना कर सकते हैं। सबके काम का तरीका और उनकी प्रतिभा अलग-अलग होती है। लोगों को यह समझना होगा।

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– भारत के युवाओं के लिए आपका क्या संदेश है?
वोकलिस्ट राहुल राम कहते हैं, हमारा युवाओं को संदेश है कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें। वे जहां हैं, वहीं रहें, बस अपने परिवार, अपने दोस्तों और अपने देश की सच्ची जड़ों के संपर्क में रहें। पश्चिमीकरण और वैश्वीकरण के सामने अपनी मौलिकता न खोएं। बस वही सुनें, जो आपका दिल कहता है और उसी की मानें। इसके अलावा और कुछ मायने नहीं रखता।
– आप बैंड का क्या भविष्य देखते हैं?
हम एकजुट हैं और हमेशा रहेंगे। यह बैंड हमेशा से भारतीय था और रहेगा हम हमेशा बेहतर से बेहतर प्रदर्शन के लिए एकजुट रहकर काम करते रहेंगे।