नई दिल्ली। अनुष्का शंकर (Anoushka Shankar)एक ब्रिटिश और भारतीय सितार वादक और संगीतकार हैं। इनका जन्म 1981 में लंदन में हुआ था। अनुष्का शंकर मशहूर सितावार वादक पंडित रविशंकर और सुकन्या राजन की बेटी है। पंडित रविशंकर 61 वर्ष के थे जब अनुष्का शंकर का जन्म हुआ। अनुष्का शंकर का बचपन लंदन और दिल्ली के बीच बंटा हुआ रहा।
अनुष्का शंकर कैलिफोर्निया के एनकिनटास में सैन डाइगुइटो हाईस्कूल अकादमी में रहता करती थीं। 1999 में उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की और अपना करियर बनाने के लिए घर की ओर रुख किया।
शायद आपको जानकर हैरानी हो कि अनुष्का शंकर ने मात्र सात साल की उम्र में अपने पिता पंडित रविशंकर से सितार का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। अनुष्का का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन 27 फरवरी 1995 को उनके पिता के जन्मदिन पर नई दिल्ली के सिरी फोर्ट में हुआ। अनुष्का की उस समय आयु सिर्फ तेरह साल थी। इस समारोह में मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन भी थे।

अनुष्का शंकर को उसी वर्ष स्टूडियो में रिकॉर्डिंग करने का अनुभव भी प्राप्त हुआ जब एंजेल रिकॉर्ड्स ने उनके पिता के जन्मदिन के सेलिब्रेशन के तौर पर चार सीडी का बॉक्स जारी किया।
चौदह साल की उम्र तक अनुष्का शंकर दुनिया भर के संगीत समारोह में अपने पिता के साथ जा रही थी । पंद्रह साल की उम्र में, उन्होंने जॉर्ज हैरिसन द्वारा निर्मित ऐतिहासिक एल्बम चैंट्स ऑफ़ इंडिया में अपने पिता की सहायता की । दोनों के मार्गदर्शन में, वह नोटेशन की प्रभारी थीं और अंततः रिकॉर्ड में भाग लेने वाले कलाकारों का संचालन करती थीं। इस अनुभव के बाद, एंजेल रिकॉर्ड्स के प्रमुख उसके माता-पिता के घर पर हस्ताक्षर करने के लिए कहने आए, और शंकर ने सोलह वर्ष की उम्र में एंजेल / ईएमआई के साथ अपना पहला अनन्य रिकॉर्डिंग अनुबंध पर हस्ताक्षर किए ।
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अनुष्का शंकर का पहला एल्बम अनुष्का , 1998 में जारी किय। इसके बाद 2000 में अनुराग जारी किया गया। शंकर और उनकी सौतेली बहन नोरा जोन्स दोनों को 2003 में ग्रैमी पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था, जब अनुष्का अपने तीसरे एल्बम, लाइव एट कार्नेगी हॉल के लिए विश्व संगीत श्रेणी में सबसे कम उम्र की नामांकित व्यक्ति बनीं ।

संगीत के अलावा अनुष्का शंकर ने अभिनय और लेखन में भी कदम रखा। उन्होंने 2002 में अपने पिता बापी: द लव ऑफ माई लाइफ की जीवनी लिखी और विभिन्न पुस्तकों में योगदान दिया। एक स्तंभकार के रूप में उन्होंने तीन साल के लिए भारत की पहली सिटी पत्रिका के लिए मासिक कॉलम लिखे ।
उनकी आध्यात्मिक और करिश्माई संगीतमयता को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं, जिसमें भारत में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर वर्ष 2003 में वूमन ऑफ द ईयर पुरस्कार, छह ग्रैमी पुरस्कार नामांकन, इसके अलावा उन्होंने ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स शील्ड की सबसे कम उम्र की और पहली महिला विजेता के रूप में मान्यता शामिल है।