सिनेमा हमेशा से आम जन जीवन के बीच की कहानी को दिखाता रहा है जिसके प्रति लोग संवेदनशील हो जाते हैं। भारतीय सिनेमा में LGBTQIA समुदाय के लेकर कई तरह की फिल्में समय समय पर आई हैं। हाल के वर्षों में चीजों में थोड़ा बदलाव आया है और कई ऐसी फिल्में भी बड़े पर्दे पर दिखाई गईं जिन्होंने LGBTQIA समुदाय का न सिर्फ प्रतिनिधित्व किया बल्कि उनके चरित्रों के साथ न्याय भी किया। प्राइड मंथ के दौरान सिटी स्पाइडी पर पढ़िए ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में जिनमें समलैंगिक रिश्तों को दिखाया गया है।
बधाई दो
राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर अभिनीत बधाई दो कहानी एलजीबीटीक्यू समुदाय पर बनाई गई अपनी तरह की अनोखी फिल्म है। इस फिल्म में एक गे और लेस्बियन को दिखाया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि इन दोनों के जीवन में कैसी चुनौतियां आती हैं और परिवार के लोग इनके साथ कैसा व्यवहार करते हैं। इस फिल्म में इस समुदाय के लोगों और परिवारों को एक नया दृष्टिकोण देने का प्रयास किया गया है।
चंडीगढ़ करे आशिकी
इस फिल्म में आयुष्मान खुराना और वाणी कपूर मुख्य भूमिका में नजर आए थे। आयुष्मान खुराना को वाणी से प्यार हो जाता है। सब कुछ ठीक ठाक चलता रहता है, लेकिन तभी लड़के को पता चलता है कि वह जिस लड़की से प्रेम करता है वह एक ट्रांसवुमन है। इसके बाद लड़की को लेकर आयुष्मान और उसके परिवार की प्रतिक्रिया पर पूरी फिल्म आधारित है।
शुभ मंगल ज्यादा सावधान
हितेश केवल्या की फिल्म शुभ मंगल ज्यादा सावधान एक एलजीबीटी प्रेम कहानी थी। जिसमें दो लड़के अपने परिवारों से समलैंगिक विवाह को अपनाने का आग्रह करते हैं। फिल्म में ढेर सारा हास्य और मनोरंजन के साथ साथ समलैंगिक जोड़ों के रिश्तों में आने वाली जटिलताओं को दिखाया गया है।
बॉम्गे

बोम्गे,’ 1996 में रिलीज़ हुई थी। यह फिल्म आर राज राव की समलैंगिक कविता पर आधारित है। कविता छह कहानियों से बनी है जो एक महानगरीय राष्ट्र में एलजीबीटी पहचान की मुड़ और गुप्त प्रकृति को दर्शाती है। यह फिल्म अपने आप में एक उत्कृष्ट कृति है और इसे अवश्य देखना चाहिए।
फायर
1996 में आई फिल्म फायर उस समय काफी विवादों में रही थी। फिल्म में नमिता दास और शबाना आज़मी मुख्य भूमिका में हैं जो दो महिलाओं की कहानी है जो प्यार में पड़ गईं। समलैंगिक संबंधों को दिखाने वाली इस कहानी का कई लोगों ने विरोध किया। अगर आपने इसे अभी तक नहीं देखा है तो इसे जरूर देखें।
अजीब दास्तान है ये, बॉम्बे टॉकीज
फिल्म में बॉम्बे में एक व्यस्त जोड़े को दिखाया गया है, जिनमें से एक गुप्त रूप से समलैंगिक है। यह एक ऐसे व्यक्ति के बारे में भी है जो समलैंगिक बनकर बाहर आने के बाद जीवन को नेविगेट करने की कोशिश कर रहा है। आधुनिक रिश्तों के प्रति मौलिक दृष्टिकोण अपनाने के
लिए करण जौहर की फिल्म की सराहना की गई।
अलीगढ़
फिल्म ‘अलीगढ़’ (2016), संस्कृति और समाज की कठोर वास्तविकता को खूबसूरती से प्रस्तुत करती है, जहां एक व्यक्ति को अपना जीवन साथी चुनने की अनुमति नहीं है। एक सच्ची कहानी पर आधारित ‘अलीगढ़’, एक प्रोफेसर डॉ. श्रीनिवास रामचंद्र सिरस की कहानी बताती है। एक टीवी चैनल उनका स्टिंग ऑपरेशन करता है जिसमें एक रिक्शा चालक के साथ आलिंगन करते नजर आते हैं। समलैगिकता के आरोप में
उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर दिया जाता है। प्रोफेसर सिरस कॉलेज के फैसले को अदालत में चुनौती देते हैं। फिल्म समाज द्वारा तिरस्कृत समुदाय की आवाज को उठाती है।
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
सोनम कपूर द्वारा निभाई गई स्वीटी चौधरी, 2019 की फिल्म, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा का मुख्य किरदार है। वह एक लड़की से प्यार करती है, लेकिन उसे समाज और उसके पिता से डर लगता है कि वे उनके रिश्ते को स्वीकार करेंगे या नहीं। इसलिए वह एक
लड़के से शादी करने के लिए राजी हो जाती है। बाद में, स्वीटी अपने परिवार के लिए अपने प्यार के लिए खड़े होने का फैसला करती है।
मार्गरीटा विद अ स्ट्रॉ
‘मार्गरीटा विद अ स्ट्रॉ’ (2014) एक साहसी लड़की के बारे में थी जो अपनी विकलांगता के बावजूद भी पूरी जिंदगी जीती है। फिल्म की कहानी एक समलैंगिक प्रेम कहानी को दर्शाती है, जो भारतीय दर्शकों को इस बात को दिखाती है कि विकलांग लोगों के लिए भी प्यार कैसा होता है।
कोबाल्ट ब्लु
अप्रैल 2022 में रिलीज हुई इस फिल्म में एक नवोदित लेखक की कहानी दिखाई गई है जो अपनी कामुकता की पड़ताल करता है। हालात तब मोड़ लेते हैं जब उसकी बहन उस लड़के से प्यार करती है जो उनके घर में पेइंग गेस्ट के तौर पर रहता है। समलैंगिक संबंधों के सुंदर चित्रण के अलावा, फिल्म को अद्भुत छायांकन के लिए भी सराहा गया।