द्वारका में 40 हजार पौधे 5000 पेड़ लगा रही डीडीए

वन महोत्सव की शुरुआत करते हुए मंगलवार को द्वारका के विभिन्न सेक्टरों में कई जगह पौधे लगाए गए।

Delhi न्यूज़

Dwarka: द्वारका को बसाने वाली एजेंसी Delhi Development Authority (डीडीए) ने उपनगरी को और हराभरा बनाने के उद्देश्य से वन महोत्सव (Van Mahotsav) की शुुरुआत की है। महोत्सव की शुरुआत करते हुए मंगलवार को द्वारका के विभिन्न सेक्टरों में कई जगह पौधे लगाए गए। इस महोत्सव को आम लोगों का भी खूब सहयोग मिल रहा है। इस महोत्सव के तहत पूरे वर्ष पौधे व पेड़ लगाए जाएंगे। इस बार डीडीए ने 40 हजार पौधे व 5000 हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है।

सेक्टर 19 बी में लगाए गए पौधे

महोत्सव के तहत द्वारका सेक्टर 19 बी में पौधे लगाए गए। इस दौरान क्षेत्र की आरडब्ल्यूए के पदाधिकारी, क्षेत्र की पूर्व निगम पार्षद व डीडीए उद्यान विभाग के अधिकारी व स्थानीय लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे। सभी ने इस बात का प्रण लिया कि जो पौधे लगाए गए, उनकी समय समय पर देखरेख के लिए लोग समय निकालेंगे।

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देशी प्रजाति को तरजीह

डीडीए हॉर्टीकल्चर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष हमलोगों ने 40 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। पौधों में बोगनवेलिया, टिकोमा, कनेर की प्रजाति पर जोर दिया जा रहा है। इन पौधों के द्वारका में कायम रहने की संभावना अधिक है। इसके अलावा पेड़ की बात करें तो जोर नीम, पीपल, पिलखन पर अधिक है। इसके अलावा चंपा, फाइकस पांडा, फाइकस बेंजामिना भी लगाए जा रहे हैं।

बस एक जोरदार बारिश की चाह

हॉर्टिकल्चर अधिकारियों का कहना है कि इस बार द्वारका में जितनी बारिश हुई है, वह उम्मीद से काफी कम है। पार्कों में बारिश के पानी को एकत्रित करने के लिए गड्ढे खोदे गए हैं। लेकिन एक भी गड्ढा अभी तक भरा नहीं है। एक बार यदि जोरदार बारिश हो जाए तो ये गड्ढे भर जाएंगे। बारिश के पानी का इस्तेमाल सिंचाई में किया जा सकेगा। एक बार पानी एकत्रित हो जाए तो जरूरत पड़ने पर टैंकर में भरकर एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पानी ले जाया सकेगा।

उपनगरी में डीडीए द्वारा वन महोत्सव शुरू किए जाने के अभियान का लोगों ने स्वागत किया है। सेक्टर 16 बी निवासी माधव पांडेय बताते हैं कि सावन के महीने में वन महोत्सव की शुरुआत से बेहतर कोई बात हो ही नहीं सकती। सेक्टर एक निवासी अनिल ठाकुर बताते हैं कि वन महोत्सव की सबसे अच्छी बात मुझे जो लगी वह यह कि इस बार देशी पेड़ पौधों पर जोर दिया जा रहा है।

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