Dwarka (द्वारका) में अनेक स्थानों पर दिन भर भारी ट्रैफिक देखने को मिलता है। स्थानीय लोगों की यह मजबूरी है कि पर्याप्त मात्रा में फुटओवर ब्रिज या सबवे न होने के चलते उन्हें इसी चलते ट्रैफिक के बीच से सड़क पार करना पड़ता है, जो आए दिन किसी न किसी हादसे को जन्म देता रहता है। अभी इसी अप्रैल के महीने में ही कई लोग इन हादसों के शिकार हुए हैं। यहां तक कि हाल ही में एक हिट एंड रन मामले में रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी की मौत तक हो गई थी। फुटपाथ के अभाव के चलते सड़क पार करते समय एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी और उनकी मौत घटनास्थल पर ही हो गई। इस घटना ने पैदल चलने वालों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
द्वारका के कई आरडब्ल्यूए मंचों और स्थानीय निवासियों के व्हॉट्सएप समूहों में इस बारे में चर्चाएं गर्म हैं कि कैसे फुटपाथों का ठीक से रखरखाव नहीं किया जाता और उन पर अतिक्रमण कर लिया जाता है, जिससे पैदल चलने वालों को अपनी जान जोखिम में डालकर मुख्य सड़क पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
सिटीस्पाइडी (CitySpidey) द्वारका में पैदल यात्रियों की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर एक श्रृंखला शुरू कर रहा है। इसके मददेनजर सबसे पहले शहर के बुनियादी ढांचे, फुटओवर ब्रिज और सबवे की आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला जाएगा और इन समस्याओं के समुचित समाधान प्रशासन और स्थानीय नागरिकों की मदद से तलाशे जाएंगे।
DDA (डीडीए) के सबसे नियोजित उपशहरों में से एक द्वारका में अगर वर्तमान की बात करें तो सड़क पर पैदल चलना काफी जोखिम भरा हो गया है। विगत कुछ वर्षों में जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ वाहनों और पैदल यात्रियों की संख्या में काफी ज्यादा वृद्धि हुई है।
हालांकि शहर की सड़क के बुनियादी ढांचे में अब भी पैदल चलने वालों की सुरक्षा का कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा है। चलते ट्रैफिक के बीच लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए बीच से ही सड़क पार करते देखा जा सकता है। उनके लिए कोई ऐसी सुविधाजनक या सुरक्षित जगह नहीं है, जहां से वे आसानी से सड़क पार कर सके और जिसके लिए न तो उन्हें अपनी जान जोखिम में डालनी पड़े, न ही ट्रैफिक का कोई नियम तोड़ना पड़े।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि उपनगर में सबवे या फुटओवर ब्रिज जैसी सुविधाएं कम से कम ऐसी जगहों पर तो अवश्य ही होनी चाहिए, जहां दिन भर भारी ट्रैफिक होता है।
मास्टर प्लान के तहत बनी सड़कों पर लोकप्रिय बाजारों या व्यस्ततम चौराहों के पास सड़क को पार करना अपने-आप में एक बड़ी समस्या है। कई जगहों पर सिग्नल के लंबे मोड़ से बचने के लिए डिवाइडर पर ग्रिल में गैप बना कर रास्ता बना लिया गया है। लोगों का कहना है कि दोनों ओर से आधा या एक किलोमीटर का मोड़ लेकर सड़क पार करना किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है।
सेक्टर 6 और 10 की मार्केट में भी कमोबेश यही स्थिति है। सेक्टर 10 निवासी सुभाष गोयल कहते हैं कि अगर कोई सेक्टर 6 की मार्केट से सेक्टर 10 की मार्केट में जाना चाहता है तो उसे भारी ट्रैफिक के बीच से ही सड़क को पार करनी होगी अथवा करीब एक किलोमीटर का मोड़ लेकर जाना होगा। पैदल चलने वाले यात्रियों के लिए यह काफी असुविधाजनक है।
लवली होम अपार्टमेंट, सेक्टर 5 के निवासी विशाल गुप्ता कहते हैं कि आशीर्वाद चौक क्षेत्र में चार बाजार हैं और पैदल चलने वालों के लिए वहां तक पहुंचना काफी मुश्किल है, क्योंकि सड़कों पर भारी संख्या में वाहन हैं और सिग्नल बाजारों के प्रवेश-द्वार से बहुत दूर हैं। अगर मुझे सेक्टर 12 से सेक्टर 4 की मार्केट जाना है तो मुझे कम से कम 300 मीटर की दूरी तय करके जाना होता है, जो किसी भी तरह से व्यावहारिक नहीं है। सड़क के बीच में बनाई गई ग्रिलों में गैप है, जिस कारण लोग ट्रैफिक से भरी सड़क को बीच से पार करते हैं और ज़ाहिर है कि इससे दुर्घटनाओं का ख़तरा हर समय बना रहता है। अधिकारियों को यहां पर एक सबवे अथवा फुटओवर ब्रिज का निर्माण करवाना चाहिए।
सेक्टर 6 और 10 के बाजारों के पास भी पैदल चलने वालों को ऐसी ही समस्याओं से दो चार होते देखा जा सकता है। आशीर्वाद चौक क्षेत्र के आस-पास सेक्टर 4, 5, 11 और 12 के बाजार हैं। सेक्टर 1 के सिग्नल पर मधू विहार है। सेक्टर 3 से द्वारका मोड़ की ओर जाने वाले लोगों के लिए स्थिति बेहद खराब है। करीब एक किलोमीटर से अधिक के इस हिस्से में सड़क पार करने के लिए एक भी सुरक्षित जगह नहीं है। नतीजतन लोग सड़क पार करने के लिए जोखिम उठाते हुए डिवाइडर की ग्रिल को कूद कर पार करते हैं।
इसके अलावा ज़ेब्रा क्रॉसिंग और फुटपाथों पर अतिक्रमण करके भी पैदल चलने वालों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
द्वारकावासी अब सोशल मीडिया और स्थानीय निवासियों के व्हाट्सप ग्रुप्स के माध्यम से पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर अपनी आवाज़ उठा रहे हैं। वे अधिकारियों से मांग कर रहे हैं कि अधिकारी शहर के प्रमुख बिंदुओं को पैदल यात्रियों के अनुकूल बनाएं। इसके लिए हर संवेदनशील स्थान पर सबवे और फुटओवर ब्रिज की व्यवस्था होनी चाहिए।
सूत्रों के अनुसार, द्वारका में पैदल यात्रियों की सुरक्षा में सुधार के उद्देश्य से डीडीए और यूटीटीआईपीइसी द्वारा 2010 में एक संयुक्त सर्वे किया गया था। इस सर्वे में द्वारका फोरम की एक टीम भी शामिल थी। इसके बावजूद इस मामले में अब तक कोई संतोषजनक पहल नहीं की गई।
द्वारका फोरम के सदस्य रेजिमोन सीके, जो 2010 की सर्वेक्षण टीम का हिस्सा थे, ने डीडीए को पत्र लिखकर इस विषय पर दोबारा कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
रेजिमोन सी के कहते हैं कि यूटीटीआईपीसी, डीडीए और एमसीडी ने पूरे उपशहर का सर्वेक्षण किया था, जिसमें पैदल चलने वालों के लिए फुटओवर ब्रिज, सबवे आदि के लिए स्थानों की मार्किंग और स्टडी की गई थी। अधिकारियों को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि द्वारका एक मास्टर प्लान के तहत बना शहर है, इसमें कम से कम फुटओवर ब्रिज और सबवे जैसी बुनियादी और ज़रूरी सुविधा तो होनी ही चाहिए।
प्रस्तावित परियोजना
डीडीए की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि बारह करोड़ की कुल लागत से चार फुटओवर ब्रिज का निर्माण अगस्त 2020 तक पूरा किया जाना था। इसकी घोषणा तत्कालीन शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 2019 में की थी, लेकिन अब तक ऐसा कोई फुटओवर ब्रिज नहीं बना है।
हालांकि घोषणा में तब कहा गया था कि ये फुटओवर ब्रिज प्रतिदिन 16200 से अधिक पैदल चलने वालों को सुरक्षित क्रॉसिंग सुविधा प्रदान करेगा, जिससे जाम की समस्या कम होगी और ट्रैफिक निर्बाध गति से चलता रहेगा। इसके अलावा भी और कई वायदे उस समय इस समस्या को सुलझाने के सिलसिले में किए गए थे, लेकिन यदि ज़मीनी स्तर पर देखें तो लोग आज भी चलते ट्रैफिक के बीच जान जोखिम में डालकर सड़क पार करने को मजबूर हैं। प्रशासन को नए वायदे करने की बजाय अपने पुराने वायदे पूरे करने पर ज़्यादा ज़ोर देना चाहिए।