80 साल के बुजुर्ग की बजाय लोग इन्हें कहते हैं 80 साल का युवा

मास्टर्स गेम्स में अनेक पदक जीत चुके द्वारका निवासी रामस्वरूप भालोटिया बने युवाओं के लिए प्रेरणा। हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित खेलो मास्टर्स गेम्स में जीते हैं तीन पदक

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Instead of 80 years old people call them 80 years old youth

द्वारका निवासी रामस्वरूप भालोटिया ने हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित खेलो मास्टर्स गेम्स में तीन पदक जीते हैं। इनमें दो स्वर्ण व एक कांस्य पदक शामिल हैं। पिछले डेढ़ दशक के दौरान मास्टर्स खेलों में अनेक पदक हासिल कर चुके 80 वर्षीय रामस्वरूप की उपलब्धियों से अब केवल युवा ही नहीं, बल्कि दूसरे बुजुर्ग भी प्रेरणा ले रहे हैं। आलम यह है कि लोग 80 साल का बुजुर्ग कहने की बजाय 80 साल का युवा कहकर इनकी मिसाल देते हैं।

बतौर सैनिक दी हैं देश को सेवाएं

पाकिस्तान के खिलाफ दो युद्धों में भाग ले चुके 80 वर्षीय द्वारका निवासी रामस्वरूप भालोटिया द्वारका की सड़कों पर रोजाना सुबह चहकदमी करते नज़र आते हैं। इनकी दिनचर्या तड़के साढ़े तीन बजे से शुरू होती है। सुबह के कुछ ज़रूरी घरेलू काम निपटाने के बाद ये सैर के लिए निकल जाते हैं और उसके बाद मास्टर्स गेम्स से जुड़ी तैयारियों में जुटे जाते हैं।

सेहत को देते हैं विविधता का अनुशासन

रामस्वरूप बताते हैं कि सैर के बाद मेरा रुटीन हर दिन अलग होता है। मास्टर्स गेम्स से जुड़े आयोजन अमूमन पूरे वर्ष कहीं न कहीं होते ही रहते हैं। मुख्य रूप से मैं वॉक व रन में हिस्सा लेता हूं। वॉक से जुड़े अभ्यास के लिए यदि मैंने एक दिन पांच किलोमीटर का लक्ष्य रखा तो इसके अगले दिन मुझे पांच किलोमीटर की दौड़ लगानी है। फिर इसके अगले दिन यानी तीसरे दिन मैं दस किलोमीटर की दौड़ लगाता हूं। इस चक्र की तीन दिनों के अंतराल पर पुनरावृत्ति होती रहती है।

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वर्ष 1963 में सेना में हुई थी भर्ती

वर्ष 1963 में ये भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए थे। भर्ती के दो वर्ष के भीतर ही इन्हें पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में हिस्सा लेना पड़ा। इसके छह वर्ष बाद वर्ष 1971 में एक बार फिर इन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ जंग में हिस्सा लिया। 1981 में सेना से सेवानिवृत्ति मिलने पर इन्होंने बैंक में नौकरी शुरू की। बैंक की नौकरी से वर्ष 2005 में ये सेवानिवृत्त हुए।

रामस्वरूप बताते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद मैंने घर में बैठने की बजाय कुछ ऐसा करने की ठानी, जिससे मैं खुद को फिट रख सकूं। फिर मुझे मास्टर्स गेम्स के बारे में पता चला और मेरी रुचि इस ओर बढ़ती चली गई। मैंने मास्टर्स गेम्स में हिस्सा लेना शुरू कर दिया और पिछले डेढ दशक के दौरान मेरी झोली में कम से कम सौ पदक हैं।

ये है सेहत का राज़

रामस्वरूप अपनी सेहत का विशेष तौर पर ध्यान रखते हैं। इनके अनुसार, सेहत बनी रहे इसके लिए सबसे जरूरी सही खान-पान है। सुबह ये बादाम, अखरोट, खजूर व किशमिश के कुछ दानों को पीसकर उसका पेस्ट बनाते हैं। फिर उसे दूध के साथ मिलाकर पीते हैं। दौड़ कर आने के बाद ये मौसमी फलों का सीमित मात्रा में सेवन करते हैं। दिन के खाने में दो रोटी व दाल लेते हैं। इसके बाद शाम को एक कटोरा दलिया खाते हैं।

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