Delhi: दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हाल ही में नगर निगम की ओर से अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया गया था। नगर निगम ने इस अभियान के माध्यम से अतिक्रमण करने वालों को चेतावनी देने की कोशिश की थी, लेकिन इस चेतावनी का अधिकांश इलाकों में रत्ती भर भी असर होता नजर नहीं आता। जिसे जहां मौका मिल रहा है, वह अतिक्रमण करने में जुटा है। रास्तों पर हुए इन अवैध अतिक्रमणों की कीमत राहगीरों को ही चुकानी पड़ रही है। अब लोगों ने इन स्थितियों से समझौता कर लिया है और मुख्य सड़कों के बीच चलना सीख लिया है।
यहां दिखता है बुरा हाल
उत्तम नगर, जनकपुरी, द्वारका मोड़, मायापुरी, तिलक नगर, पंजाबी बाग, मोतीनगर, हरिनगर, वीरेंद्र नगर, आर्य समाज रोड, हस्तसाल शनि बाजार रोड, मंगलापुरी, पालम, द्वारका सेक्टर सात रामफल चौक, राजौरी गार्डन, तिलकनगर, विकासपुरी, नजफगढ़ ये तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अतिक्रमण की स्थिति साफ साफ नजर आती है।
ऐसे होता है अतिक्रमण
कई जगह फुटपाथ पर खानपान से जुड़ी कई स्टॉल नजर आती हैं। कई जगह फुटपाथ का इस्तेमाल पुरानी गाड़ियों की बिक्री के कारोबार के लिए हो रहा है। यहां पुरानी गाड़ियों को करीने से खड़ा कर दिया जाता है। उत्तम नगर हो या जनकपुरी या फिर तिलक नगर यहां के बाजारों में दुकानदार दुकानों से निकल फुटपाथ पर आ पसरे हैं। दुकान का अधिकांश सामान फुटपाथ पर रखा जाता है, दुकान का प्रचार बोर्ड व कपड़े पहने पुतले सभी फुटपाथ पर ही रखे जाते हैं। उत्तम नगर का जिक्र करें तो यहां भी स्थिति बद से बदतर है। हरिनगर में डीडीयू अस्पताल के आसपास भी फुटपाथ अतिक्रमणकारियों की चपेट में है। ऐसे में मरीजों को सड़क पर चलना काफी मुश्किल भरा लगता है। कई बार तो एंबुलेंस को निकलने में भी मशक्कत करनी पड़ती है, जिसका हर्जाना मरीजों को भुगतना पड़ता है।
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दिखावे के लिए होती है कार्रवाई
अतिक्रमण का यह खेल पूरी तरह संगठित तौर पर किया जाता है। कहने के लिए भले ही कभी कभार कार्रवाई की जाती है, यदि इक्का दुक्का दिनों को छोड़ दें तो फुटपाथों पर अतिक्रमण की भयावह स्थिति रोजाना राहगीरों को परेशान करती है। इस संदर्भ में सरकारी अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ते नजर आते हैं कि समय-समय पर कार्रवाई की जा रही है। ज्यादा प्रश्न पूछने पर वे चुप्पी साध लेते हैं।
अतिक्रमण के मामले में निगम व पुलिस जिम्मेदार
फुटपाथ पर यदि अतिक्रमण हो तो इसे हटाने की पूरी जिम्मेदारी नगर निगम की बनती है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस को भी यह अधिकार है कि यदि आवाजाही में किसी प्रकार की कोई बाधा सामने आ रही हो तो वह कार्रवाई कर सकती है, लेकिन दोनों ही विभाग इस ओर ध्यान देने को राजी नहीं है। निगम यह कहकर पल्ला झाड़ लेती है कि एक बार यदि किसी क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त कर दिया जाता है तो वहां यथास्थिति बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस की है। दूसरी ओर पुलिस का कहना है कि अतिक्रमण को दूर करने की पूरी जिम्मेदारी निगम की है। निगम जब भी कार्रवाई के दौरान पुलिस के सहयोग की जरुरत होती है तो वह उपलब्ध कराया जाता है। समय समय पर अतिक्रमणकारियों के खिलाफ थाना में एफआईआर भी दर्ज किया जाता है।
पैदल यात्रियों की सुरक्षित आवाजाही के लिए फुटपाथ के निर्माण पर करोड़ों खर्च किए जाते हैं पर अफसोस की बात है कि जिसके लिए इसे खर्च किया जाता है वही पैदल यात्री इसके इस्तेमाल से वंचित हैं। पैदल यात्रियों के अलावा अन्य सभी फुटपाथ का इस्तेमाल कर रहे हैं।
अनूप चावला, हरिनगर
उत्तम नगर में फुटपाथ के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं। यहां फुटपाथ पर मलबे का ढेर व फुटपाथ के किनारे बसों का जमावड़ा लगा रहता है। वहीं डाबड़ी-पालम रोड पर फुटपाथ की हालत जर्जर स्थिति में है। फुटपाथ से सारी टाइल्स उखड़ी पड़ी हैं। यहां स्थानीय लोगों ने खानपान से जुड़ी कई स्टॉल लगा रखी है। सवाल ये है फुटपाथ राहगीरों के लिए बना था या अतिक्रमणकारियों के लिए?
हरेंद्र, उत्तम नगर
पंखा रोड पर डाबड़ी के पास लोगों ने फुटपाथ पर ही अपना व्यापार शुरू कर दिया है। यहां पुरानी गाड़ियों की बिक्री का कारोबार फल-फूल रहा है। खास बात यह है कि जिन फुटपाथ को राहगीरों की सुरक्षित आवाजाही के लिए बनाया गया है, वे ही इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।
महेश झा, द्वारका सेक्टर 1ए, नसीरपुर