Delhi News: मुंडका अग्निकांड के बाद भी दिल्ली में आग लगने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। एक के बाद एक सामने आ रहे इन मामलों की प्रारंभिक छानबीन में लापरवाही भी उजागर हो रही है। इनमें से कुछ में सरकारी एजेंसियों की लापरवाही सामने आ रही है तो कुछ में संपत्ति मालिक भी घटना के लिए ज़िम्मेदार बताए जा रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकारी एजेंसियां या खुद जनता अपनी लापरवाही पर विराम कब लगाएंगी। इन हादसों से आखिर सरकारी एजेंसियां व हम लोग कब सबक लेंगे?
आपातकाल से निपटने के प्रशिक्षण का अभाव
मुंडका में स्कूल ऑफ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग के निदेशक जिले सिंह लाकड़ा बताते हैं कि आग लगने की स्थिति में स्वयं व दूसरे का बचाव कैसे करें, इसकी जानकारी अधिकांश लोगों को नहीं है। मुंडका की जिस इमारत में आग लगी थी, उस इमारत के बाहरी हिस्से में टफेंड ग्लास की परत चढ़ी थी। इस परत में ग्लास के अनेक ब्लॉक लगे थे। यदि इन ब्लॉक के कोने पर हल्की चोट की जाए तो पूरा ब्लाॅक आसानी से हटाया जा सकता है। आग लगने की घटना के दौरान यदि वहां फंसे लोगों को इस बात की जानकारी होती तो कम से कम दम घुटने से तो किसी की मौत नहीं हाेती। कई जगह तो अग्निशमन में प्रयुक्त होने वाले उपकरण उपलब्ध होने के बावजूद केवल इसलिए लोग इनका इस्तेमाल नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें यह पता नहीं होता कि आखिर इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए। सरकारी एजेंसियों को चाहिए कि वह ऐसे इलाके, जहां काफी लोग काम करते हैं, वहां बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र आदि भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जिससे उनका उत्साह भी बढ़े और लोग बड़ी संख्या में इसमें भाग भी लें।
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अधिकांश इमारतों को नहीं मिली है फायर की एनओसी
मुंडका के बाद सामने आए अधिकांश मामलों की तहकीकात में पता चला है कि इमारतों की एनओसी अग्निशमन विभाग की ओर से नहीं ली गई है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि अग्निशमन विभाग की एनओसी के बिना इन इमारतों में व्यावसायिक गतिविधियां कैसे चल रही थीं। व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित करने की इजाज़त लेने के लिए कई सरकारी एजेंसियों से एनओसी लेनी पड़ती है, जिनमें अग्निशमन विभाग की एनओसी अनिवार्य है, लेकिन इसे लेकर अक्सर अनदेखी सामने आती है। बड़े पैमाने पर सरकारी एजेंसियों को सर्वे कर उन इमारतों की सूची तैयार करनी चाहिए, जिनमें पास एनओसी नहीं है।
वायरिंग की कराएं समय-समय पर जांच
अग्निशमन विभाग के अधिकारी का कहना है कि आग लगने की अधिकांश घटनाओं में शॉट सर्किट एक प्रमुख कारण है। शॉट सर्किट की सबसे बड़ी वजह इमारत में लगी बिजली की वायरिंग का खराब होना व क्षमता से अधिक लोड वाले बिजली के उपकरणों को चलाना है। इस बात का हमेशा ध्यान रखा जाना चाहिए कि उतने ही क्षमता वाले बिजली के उपकरणों का इस्तेमाल करें, जिनका बोझ वायरिंग या आपकी फैक्ट्री अथवा घर को बिजली विभाग द्वारा प्रदत्त हो और वह अधिकृत लोड संभाल सकें। समय-समय पर इसकी जांच कराते रहें। घर में बिजली उपकरणों या मीटर के आस-पास ज्वनशील पदार्थ न रखें। घर में अतिरिक्त सामान भी नहीं रखें। अग्निशमन उपकरणों के सही इस्तेमाल की जानकारी रखें। प्रवेश द्वार के पास बिजली के मीटर कभी नहीं लगाएं।
मुंडका के बाद आग लगने की घटनाएं और सावधानियों की ज़मीनी हकीकत
- 14 मई- नरेला स्थित प्लास्टिक दाना फैक्ट्री में लगी आग, आग बुझाने में दमकल की 27 गाड़ियों का इस्तेमाल
- 16 मई- नरेला औद्योगिक क्षेत्र स्थित फैक्ट्री में आग, दमकल की 14 गाड़ियों का आग बुझाने में इस्तेमाल
- 17 मई- अशोक विहार स्थित बैंक्वेट हॉल में लगी आग, एक की मौत
- 18 मई- रोहिणी कोर्ट में जज के चैंबर में लगी आग, आग बुझाने में दमकल की पांच गाड़ियों का इस्तेमाल
- 19 मई- मुस्तफाबाद स्थित फैक्ट्री में लगी आग, एक की मौत, छह झुलसे
- 19 मई- बवाना स्थित फैक्ट्री में लगी आग, दमकल की 17 गाड़ियों का आग पर काबू पाने में इस्तेमाल