Faridabad: चेतावनी बाद भी नहीं जागा निगम तो बरसात में हो जाएगा शहर बदहाल

Faridabad: शहर में नगर निगम की लापरवाही का ये आलम है कि जरा सी बरसात में ही शहर की हालत खराब हो जाती है।

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Faridabad: शहर में नगर निगम की लापरवाही का ये आलम है कि जरा सी बरसात में ही शहर की हालत खराब हो जाती है। इस बार भी मानसून आने से पहले की दो तीन बार की बारिश में ही शहर पूरी तरह जलमग्न हो गया। यह बरसात नगर निगम के लिए किसी चेतावनी से कम नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारी अब भी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं।

पिछले दिनों सुबह के समय आई तेज बरसात ने तो पूरे शहर की हालत ही खराब करके रख दी है। नगर निगम आयुक्त ने पिछले दिनों चलाए गए सफाई अभियान के दौरान बरसात से पहले सभी नालों की सफाई करवाने के आदेश दिये थे। लेकिन नालों की सफाई सिर्फ दिखावे के लिए ही की गई है। यहां तक कि शहर के सबसे प्रमुख नाला गौंछी ड्रेन की सफाई करवाने का प्रयास भी नहीं किया गया है। अभियान के दौरान गौंछी ड्रेन में सफाई कम और नुकसान ज्यादा किया गया है। सफाई के दौरान उखाड़े गए जाल दोबारा न लगाने से बेकार हो गए हैं। वहीं दूसरी तरफ जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च करके नालों का निर्माण तो करवा गया है, लेकिन इन नालों को आज तक कनेक्ट नहीं किया गया।

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सफाई के नाम पर खानापूर्ति

एनएच पांच और नीलम चौक की तरफ से आने वाले दो बड़े नाले बीके चौक से गुजरते हैं। एक अन्य नाला भी एचडीएफसी बैंक के सामने से होता हुआ इस चौक पर पहुंचता है। इनमें से एक नाला तो निगम मुख्यालय की दीवार के साथ ही गुजर रहा है। पिछले दिनों निगम ने नीलम और बीके चौक के आसपास नालों की सफाई का दिखावा किया था, लेकिन इसके बावजूद यह तीनों ही नाले बुरी तरह गाद से भरे हुए हैं। इनमें से ज्यादातर नाले प्लास्टिक की बोतले और थैलियों से बुरी तरह अटे पड़े हुए हैं। बरसात आने पर बीके चौक से हार्डवेयर चौक की ओर जाने वाली सडक़ पर पानी जमा हो जाता है। सबसे ज्यादा पानी नगर निगम सभागार के सामने जमा होता है। इसके बावजूद निगम अधिकारी इन नालों की सफाई करवाने की जरूरत महसूस नहीं कर रहे है। यह सभी नाले आगे चल गौंछी ड्रेन में गिरते हैं, लेकिन गौंछी ड्रेन की सफाई के नाम पर निगम ने पिछले दिनों सिर्फ खानापूर्ति ही की है। जिसके परिणाम बरसात में देखने को मिलेंगे।

व्यर्थ पड़े हैं करोड़ों के नाले

निगम द्वारा हाल ही के कुछ सालों में एनआईटी इलाके में पेरिफेरल रोड का निर्माण करवाया गया है। इस परियोजना के तहत सड़कों के दोनों तरफ नाले भी बनाए जाने से थे। सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार ने नीलम बाटा रोड के दोनों तरफ सड़क से ऊंचे कवर्ड नालों का निर्माण करवाया है, लेकिन इससे आगे बाटा हार्डवेयर रोड पर नाले नहीं बनाए गए। ऐसे में नीलम बाटा रोड के नालों को कनेक्ट नहीं किया जा सका है। करीब ढाई साल से नाले बेकार में पड़े होने के कारण इनमें मलवा भरता जा रहा है। इसी तरह हार्डवेयर चौक से गौंछी ड्रेन तक करीब छह फुट गहरा आरएमसी कवर्ड नाला बनाया गया है। हार्डवेयर चौक पर नाला है ही नहीं। व्हर्लपूल चौक पर नाले के हिस्सों को आपस में कनेक्ट नहीं किया गया है। इस नाले को आगे चलकर गौंछी ड्रेन से जोडऩे की जरूरत भी महसूस नहीं की गई। ऐसे में जनता की सुविधा के लिए करोड़ों की लागत से बने इस नाले का उपयोग न होने से खर्च किए गए करोड़ों रुपये व्यर्थ में चले गए।

ईकोग्रीन कर रहा नाला जाम

बडख़ल और एनआईटी 86 विधानसभा क्षेत्र के साथ बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र के कुछ हिस्सों के गंदे एवं बरसाती पानी की निकासी में गौंछी ड्रेन की अहम भूमिका है। इन इलाकों की विभिन्न छोटी बड़ी नालियों का पानी इसी गौंछी ड्रेन में आकर गिरता है, लेकिन इसके बावजूद गौंछी ड्रेन लगातार दुर्दशा का शिकार होती जा रही है। गौंछी ड्रेन को जाम करने में सबसे ज्यादा अहम भूमिका ईकोग्रीन कंपनी द्वारा निभाई जा रही है। कंपनी ने गौंछी ड्रेन के किनारे सडक़ पर कब्जा कर डंपिंग यार्ड बनाया हुआ है। जहां कूड़े की छंटाई के दौरान भारी मात्रा में गंदगी को गौंछी ड्रेन में डाला जाता है। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम द्वारा नियमित रूप से नाले की सफाई नहीं की जाती। निगम की तरफ से नाले की गाद निकालने के लिए एक मशीन लगाई गई थी, जो देखरेख के अभाव में खराब हो चुकी है। वहीं सफाई के दौरान जगह जगह खोले गए जाल दोबारा नहीं लगाए गए। जिससे लोग बड़े पैमाने पर कूड़ा नाले में डालने लगे हैं। नियमित रूप से सफाई और रख रखाव के अभाव में पूरी गौंछी ड्रेन गंदगी से अटी पड़ी है।

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