Faridabad: नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही से बड़खल विधानसभा क्षेत्र के एनआइटी इलाके में रहने वाले लोग नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हो रहे हैं। एनआइटी इलाके के एनएच एक, दो, तीन और पांच में पाइप लाइनें जाम होने से सीवर ओवरफ्लो की समस्या लगातार विकराल रूप धारण करती जा रही है। इन तीनों में से एक भी इलाका ऐसा नहीं है, जहां सीवर का गंदा पानी ओवरफ्लो होकर सड़कों पर बहता नजर न आए। इस समस्या का प्रमुख कारण यह है कि एनआइटी इलाके में सबसे पहले सीवर और पानी की पाइप लाइनें डाली गई थी। उस समय के मुकाबले यहां आबादी तो कई गुणा बढ़ ही गई है। साथ ही वर्षों पुरानी पाइप लाइनों पर अवैध कनेक्शनों का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। इन इलाकों में जगह जगह चार से छह मंजिला फ्लैटों का निर्माण हो रहा है। रिहायशी प्लॉटों पर अस्पताल, होटल और अन्य व्यवसायिक गतिविधियां चलाई जा रही है। वहीं दूसरी तरफ बरसाती पानी की निकासी की व्यवस्था तो है नहीं बल्कि नालों को भी सीवर लाइनों से कनेक्ट किया हुआ है। सीमेंट की सड़कों का निर्माण कर मैनहॉल दबा दिये गए हैं। निगम द्वारा सीवर सफाई पर करोड़ों खर्च करने के बाद भी राहत नहीं मिल रही है।
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सड़कों पर बह रहा सीवर का पानी
एनएच दो में लाइनें जाम होने से सीवर ओवरफ्लो होने की समस्या वैसे तो हर ब्लॉक में आम हो चुकी है। लेकिन सबसे ज्यादा बुरी स्थिति एनएच दो ई ब्लॉक की है। इस ब्लॉक के लोग नगर निगम, ऐप 311 और सीएम विंडो में भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन लंबा अर्सा गुजर जाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यहां के लोगों को सीवर के पानी से गुजर कर घरों में पहुंचना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ एनएच एक बी ब्लॉक में भी इन दिनों नारकीय स्थिति बनी हुई है। ब्लॉक में स्थित पंचायती गुरूद्वारे के आसपास और अन्य कई गलियों में सीवर का गंदा पानी बह रहा है। शिकायत करने पर निगम के ठेकेदार लाइनों को दिखावे के लिए साफ तो करते हैं, लेकिन कुछ समय बाद फिर वहीं स्थिति बन जाती है। इसके अलावा एनएच तीन और एनएच पांच के निवासी भी सीवर जाम की समस्या से अछूते नहीं है। लाइनें जाम होने से सीवर का गंदा पानी ओवरफ्लो होकर लोगों के घरों में भी पहुंच रहा है।
करोड़ों की सीवर लाइन परियोजना
ऐसा नहीं है कि सीवर लाइनों की सफाई करना सम्भव नहीं है। व्यवस्था बनाई जाए तो समस्या का समधान हो सकता है, लेकिन निगम द्वारा हमेशा ही बिना योजना के काम किये जाते हैं। जो आगे चलकर समस्या बन जाते हैं। नगर निगम द्वारा पूरे एनआइटी इलाके में तारकौल की जगह सीमेंट कंक्रीट की सड़कें बना दी गई है। सीमेंटों की सड़कों के निर्माण के दौरान लापरवाही बरतते हुए काफी संख्या में मैनहॉल तक दबा दिये गए हैं। ऐसे में निगम कर्मचारी चाहे भी तो ठीक तरीके से सफाई नहीं हो पाते। वहीं सीवर की लाइनों में सफाई के दौरान भारी मात्रा में प्लास्टिक और मलबा निकलता है। इस तरह की समस्याओं का समाधान करने की बजाए एनआइटी इलाके में सीवर की लाइनों को दोबारा डालने की करोड़ों रुपये की परियोजना लाई जा रही है। ऐसे में करोड़ों रुपये की लागत से हाल ही में बनी एनआइटी की तमाम सड़कों को सीवर लाइन डालने के लिए उखाड़ना पड़ेगा। लाइनें डालने के बाद सरकार को फिर सड़कों के निर्माण पर भारी भरकम रकम खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
नहीं करते समस्या का समाधान
एनएच एक बी ब्लॉक में रहने वाले सागर दुआ का कहना है कि लोग दो साल से सीवर ओवरफ्लो की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐप 311 पर शिकायत करने के साथ ही लोग कई बार निगम कार्यालय पर प्रदर्शन भी कर चुके हैं। शिकायत करने पर सूपर शकर मशीन भेज दी जाती है। उसके जाते ही फिर पहले जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जबकि यहां लाइनों की वकैट मशीन से सफाई की जरूरत है।