Faridabad: रिहायशी इलाकों में अवैध गेट लगाकर गलियों पर कब्जा किया हुआ है। तर्क है कि असामाजिक तत्व एवं आवारा पशुओं को रोकने के लिए सेक्टरों की गलियों में गेट लगाए हैं। जिससे झपटमारी की वारदातें कम हुई हैं, लेकिन वहीं गलियों में लगाए जाने वाले इन दरवाजों के कई दुष्परिणाम भी है। रात के समय यदि किसी की तबीयत खराब हो जाए तो गेटों की वजह से एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंच सकती है। वहीं यदि कहीं आगजनी या अन्य कोई अप्रिय घटना हो जाए तो सरकारी सहायता पीड़ित तक पहुंचाने में दिक्कत आ सकती है। सेक्टर डी के निवासियों ने तो दीवार लगाकर एसजीएम नगर जी ब्लॉक का रास्ता ही बंद कर दिया। जी ब्लॉक निवासियों की शिकायत पर मानव अधिकार आयोग और जिला उपायुक्त से दीवार को हटाने के आदेश भी दे चुके हैं, लेकिन निगम कर्मी पिछले करीब चार महीने में इस दीवार को नहीं हटा पाए हैं।
बंद रास्ते से सैंकड़ों लोग परेशान
एसजीएम नगर जी ब्लॉक के निवासियों ने उपायुक्त से की गई शिकायत में कहा था कि यह कालोनी वर्ष 1980 से बसी हुई है। जी ब्लॉक से लगते सेक्टर 21 डी में हूडा द्वारा वर्ष 1986 में प्लॉट काटे गए थे। जी ब्लॉक में आने जाने के लिए दो रास्ते हैं। इनमें से एक रास्ता सेक्टर 21 डी से होकर गुजरता है। दोनों ही रास्ते एसजीएम नगर के नक्शे में दर्शाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद सेक्टर 21डी में रहने वाले कुछ लोगों ने इस वैध रास्ते को पक्की दीवार लगाकर पूरी तरह बंद कर दिया है। जबकि एसजीएम नगर का यह रास्ता सेक्टर बसने से पहले का है। जी ब्लॉक में आने जाने के लिए फिलहाल एक ही रास्ता बचा होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। परेशान होकर इलाके के लोगों ने जिला उपायुक्त, पुलिस आयुक्त, नगर निगमायुक्त और सीएम कार्यालय को ईमेल और ट्यूटर के माध्यम से शिकायत की थी। शिकायतों को किये हुए कई महीने का समय गुजर चुका है। लेकिन दीवार नहीं हटी।
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चार महीने से नहीं हुई कार्रवाई
एसजीएम नगर के निवासियों ने बताया कि सेक्टर 21डी के निवासियों द्वारा रास्ता बंद कर देने से इलाके के सैंकड़ों लोगों को परेशानी हो रही है। जिसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ साथ हरियाणा मानव अधिकार आयोग में भी शिकायत दी थी। मानव अधिकार आयोग ने इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त को कार्रवाई के लिए लिखा था। उपायुक्त ने इस संदर्भ में निगमायुक्त को पत्र लिखा था। निगमायुक्त ने निगम के संबंधित अधिकारियों को जांच के बाद कार्रवाई के आदेश दिये थे। पवन शर्मा ने बताया कि मानव अधिकार आयोग इस मामले में कई रिमांडर भेज चुका है। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। दो सप्ताह पूर्व निगम के एक जेई ने फोन कर दीवार की लोकेशन मांगी थी। जिसके बाद वह मौके पर भी पहुंचे थे। लेकिन इसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
आदेशों का नहीं होता पालन
कार्यकर्ता विष्णु गोयल ने अवैध गेटों के खिलाफ उपायुक्त, पुलिस और नगर निगम आयुक्त से शिकायत की थी। जिस पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त जितेंद्र यादव ने शहर के विभिन्न रिहायशी इलाकों के रास्ते लगे इन गेटों को हटाने के लिए नगर निगम और एचएसवीपी को पत्र लिखा था। साथ ही उन्होंने कार्रवाई की रिपोर्ट शिकायतकर्ता को भेजने के आदेश भी दिये थे। वहीं पुलिस को लिखे गए पत्र पर संज्ञान लेते हुए पुलिस की तरफ से सभी चौकी थानों को पत्र भेज कर रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन आज कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई।
कार्रवाई की बजाए टाल रहे हैं
एसजीएम नगर जी ब्लॉक निवासी पवन शर्मा का कहना है कि जहां दीवार लगाई है, वह कालोनी के नक्शे में रास्ता है। शिकायत पर कार्रवाई के लिए मानव अधिकार आयोग नगर निगम को दो रिमाइंडर भेज चुका है। लेकिन निगम द्वारा कार्रवाई करने की बजाए मामले को लगातार टालने का प्रयास किया जा रहा है। निगम की इस कार्यशैली की वजह से इलाके के सैंकड़ों लोगों को परेशानी हो रही है।