Faridabad: सरकार द्वारा जिले के 24 गांवों को नगर निगम में शामिल करने के बाद पंचायतों की सम्पतियां लावारिस हालत में पड़ी हुई है। इनमें विभिन्न गांवों में बने सामुदायिक भवन, बारातघर, सराय और व्यायाम शालाएं शामिल हैं। ग्राम पंचायतों के भंग होने के बाद सरकार की इन सम्पतियों की देखरेख करने वाला दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है। एक तरफ निगम द्वारा अर्थिक तंगी का रोना रोते हुए शहरी इलाकों के कम्युनिटी सेंटरों को ठेके पर देने की तैयारी की जा रही है। हालांकि यह मामला ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में उठने के बाद फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। वहीं दूसरी तरफ ग्राम पंचायतों के भवनों की तरफ निगम का कोई ध्यान नहीं है। नगर निगम में शामिल हुए ग्रेटर फरीदाबाद के कई गांवों में बने सरकारी भवन देखरेख के अभाव में लगातार जर्जर होते जा रहे हैं। इन भवनों की ऐसे ही बेरुखी होती रही तो यह इस्तेमाल के योग्य नहीं रहेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि निगम गांवों की इन सम्पतियों पर ध्यान दें तो इनसे भी आय हो सकती है। इनका इस्तेमाल ग्रामीणों के साथ आसपास की सोसायटियों के लोग भी कर सकते हैं।
निगम में शामिल होने के बाद मिली दुर्दशा
प्रदेश सरकार ने नगर निगम क्षेत्र का विस्तार करते हुए शहरों के बीच आ चुके अथवा शहरों से लगते 24 गांवों की पंचायतों को भंगकर इन्हें निगम में शामिल करने के आदेश दिये थे। जिसके बाद निगम ने इन गांवों को टेकओवर कर लिया था। जिसके बाद इन ग्राम पंचायतों की तमाम सम्पति भी निगम के कब्जे में आ गई थी। गांवों को टेकओवर हुए करीब एक साल से ज्यादा समय गुजर चुका है, लेकिन अभी निगम की तरफ से गांवों पर जरा भी ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं की गई है। इनमें ग्रेटर फरीदाबाद के भी करीब एक दर्जन गांव शामिल हैं। इनमें से कई गांव तो सोसाटियों के आसपास हैं। पहले इन गांवों में सफाई व्यवस्था और अन्य काम ग्राम पंचायत द्वारा किये जाते थे। गांव टेकओवर होने के बाद यह सभी जिम्मेदारी नगर निगम के पास आ चुकी है, लेकिन निगम अधिकारियों के पास इस ओर ध्यान देने का समय नहीं हैं। ऐसे में गंदगी और अव्यवस्था के कारण ग्रामीणों के साथ साथ सोसायटी वासियों भी काफी परेशान हैं।
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करोड़ों की सम्पति पर कोई ध्यान नहीं
नगर निगम के अंर्तगत आए गांवों में मौजूद करोड़ों रुपये की सरकारी सम्पतियां भी नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है। इन गांव में सामुदायिक भवन, बरातघर, सराय, व्यायामशाला और स्टेडियम आदि का निर्माण सरकार और ग्राम पंचायतों द्वारा विभिन्न परियोजनाओं के तहत करवाया था। इनमें से ज्यादातर गांवों में इस तरह के दो तीन भवन मौजूद हैं। निगम के अंर्तगत आने के बाद यह सभी भवन लावारिस हालत में पड़े हैं। जिसमें आवारा पशुओं द्वारा डेरा डालने से गंदगी से भरे पड़े हैं। देखरेख के अभाव यह भवन लगातार जर्जर होते जा रहे हैं। ग्रेटर फरीदाबाद के भतौला और अन्य गांव के सभी भवनों की हालत दयनीय बनी हुई है। इन भवनों का रख रखाव करने से इनका इस्तेमाल ग्रामीणों के साथ साथ सोसायटी वासी भी कर सकते हैं। जिससे निगम के आय भी होगी।
नष्ट हो रही है सम्पति

भतौला गांव निवासी समाजसेवी सेवनिवृत सुबेदार जवाहर सिंह का कहना है कि गांवों को नगर निगम में शामिल तो कर लिया। लेकिन निगम द्वारा ग्राम पंचायतों की सम्पतियों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके कारण यह सभी भवन देखरेख के अभाव में जर्जर होते जा रहे हैं। यदि इन सम्पतियों पर ध्यान दिया जाए तो इससे निगम को आय भी हो सकती है।
ग्रामीण इलाके पर ध्यान नहीं

सेवानिवृत विंग कमांडर सतेंद्र दुग्गल का कहना है कि नगर निगम की लापरवाही के कारण सरकार की करोड़ों रुपये की सम्पति लगातार नष्ट हो रही है। निगम शहरी क्षेत्र में तो कम्युनिटी सेंटरों को ठेके पर देना का प्रयास कर रहा है। लेकिन निगम में शामिल हुए 24 गांवों में मौजूद करोड़ों रुपये की सम्पतियों पर कोई ध्यान नहीं है। जो निगम की आय का जरिया बन सकती हैं।