Faridabad: डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन के जरिये बुजुर्ग का पैर कटने से बचाया

महाधमनी की बीमारी जन्मजात होती है और इसका इलाज जन्म के समय ही करा लेना चाहिए।

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Faridabad:  यूसूफ जो नूंह का रहने वाला था, करीब 10-12 सालों से पैरों में काले-काले चकते पड़ गए थे। जब उसने दिल्ली स्थित एम्स हॉस्पिटल में दिखाया तो, पता चला कि उसको महाधमनी जो हृदय से शुरू होती है, उसके अंदर हृदय एवं पेट में रुकावट थी। इसके लिए महाधमनी जो हृदय से शुरू होती है, वहां से एक नया रास्ता बनाने का सुझाव दिया गया। जिसे बाईपास सर्जरी कहते हैं और वह रास्ता पेट से लाया जाए। यह काफी रिस्की भी हो सकता था और मरीज की जान भी जा सकती थी। इसके बाद मरीज ने यूनिवर्सल अस्पताल में डॉ. शैलेश जैन को दिखाया।

डॉ. शैलेश जैन ने अपनी टीम डॉ. रहमान, डॉ. संजीव दिवाकर एवं डॉ. संजय के साथ मिलकर एंजीयोग्राफी की। जिसमें पाया कि जो महाधमनी हृदय से चालू हो रही थी, उसमें 90 से 95 प्रतिशत रुकावट थी। मरीज की उम्र करीब 60 वर्ष के आसपास थी। इसमें यह भी देखा गया कि मरीज के पेट के अंदर जो रक्तवाहिनी होती है, जो दोनों पैरों के लिए फटती है, वहां पर भी रुकावट थी। इसलिए यह तय किया गया कि महाधमनी जो हृदय से चालू होती है, उसे स्टंटिंग के माध्यम से खोला जाए। पहले उसे बैलूनिंग के माध्यम से फुलाया गया। बैलूनिंग के माध्यम से फुलाने के बाद मरीज को स्टंट डाला गया। 6 हफ्ते बाद जब स्टंट अपनी जगह प्लेस हो गया और देखा गया कि स्टंट ढंग से काम कर रहा है और खून की सप्लाई पेट तक आ रही है। इसके बाद पेट से दोनों पैरों को खून की सप्लाई दी गई। जिसे अर्थों फ्यूमरल बाइपास कहते हैं, इसके बाद मरीज के दोनों पैरों में खून का बहाव बहुत अच्छा हो गया और नीचे कालापन भी धीरे-धीरे गायब हो रहा है।

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डॉ. शैलेश जैन ने बताया कि महाधमनी की बीमारी जन्मजात होती है और इसका इलाज जन्म के समय ही करा लेना चाहिए। उन्होंने मरीज को बीड़ी, तम्बाकू का इस्तेमाल न करने की सलाह दी। मरीज यूसूफ के सफल ऑपरेशन के अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. रीति अग्रवाल ने डॉ. शैलेश, डॉ. रहमान, डॉ. पवन, डॉ. संजीव दिवाकर एवं डॉ. संजय को बधाई दी।

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