Greater Noida: किसान के बेटे ने IPS बन कर पूरा किया पिता का सपना

आलोक भाटी (Alok Bhati) ने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंकिंग 413 हासिल की और आईपीएस का पद हासिल किया।

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Greater Noida: चिटहरा गांव के रहने वाले एक सामान्य किसान अजीत भाटी की आंखों की चमक बता रही है कि जो उन्होंने सपना देखा वह पूरा हो गया है। इस सपने को पूरा किया है उनके बेटे आलोक भाटी ने। आलोक भाटी (Alok Bhati) ने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंकिंग 413 हासिल की और आईपीएस का पद हासिल किया। आलोक भाटी के आईपीएस बनने खबर के बाद से गांव में खुशी की लहर है और आलोक और उसके परिवार को बधाई देने वालों का ताता लगा हुआ है।

ग्रेटर नोएडा के दादरी तहसील के गांव चिटहैरा के निवासी आलोक भाटी के ऑल इंडिया में 413वीं रैंक हांसिल कर आईपीएस बनने खबर फैलते ही आलोक भाटी को उनके परिजन व गांववासी मिठाई खिलाकर खुशी मनाने लगे। आलोक भाटी के पिता अजीत भाटी छोटे से किसान हैं। आलोक और उनके पिता परिवार को संभालने के लिए दूध बेचने का काम करते हैं। गांव वालों ने बताया कि आलोक की दिनचर्या बेहद सामान्य है। वह सुबह उठकर गाय-भैंसों को चारा खिलाते हैं। उसके बाद दूध निकालते हैं और बेचने चले जाते हैं, वहां से वापस लौटकर पढ़ाई लिखाई करते हैं। आलोक भाटी शुरू से एक प्रभावशाली छात्र रहे हैं, हालांकि, उनकी पूरी पढ़ाई गांव के प्राइमरी स्कूल और दादरी के इंटर कॉलेज में हिंदी माध्यम से हुई है।

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आईपीएस बने आलोक भाटी ने बताया कि उन्होंने पहले नेशनल डिफेंस एकेडमी की प्रतिष्ठित परीक्षा पास की थी। मेडिकल के दौरान उनके दांतो में कुछ समस्या का पता चला। जिसकी वजह से उन्हें एनडीए छोड़ना पड़ा। इसके बावजूद आलोक ने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि और ज्यादा जज्बे के साथ तैयारी शुरू की। करीब 2 साल पहले आलोक ने केंद्रीय पैरामिलिट्री फोर्स के लिए आयोजित होने वाली संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की। उनका चयन इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस बल में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट हो गया। वह फिलहाल आइटीबीपी में प्रशिक्षणरत हैं। इसी दौरान आलोक भाटी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए परीक्षा देने का मन बनाया। वर्ष 2021 की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास करने के बाद बीते अप्रैल महीने में उन्होंने इंटरव्यू दिया था और सोमवार को उन्हें सफल घोषित किया गया है।

आलोक के पिता अजीत भाटी का कहना है कि मैं एक किसान हूं मेरा दूध का काम है और दो चार भैंस रखकर मैंने कुछ कमाया नहीं बस बच्चों को पढ़ाया, मेरा शुरू से ही यह प्रयास था कि बच्चे पढ़ें।

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