ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (GNIDA)के नए सीईओ से जोड़ी स्थानीय निवासियों ने समाधान की उम्मीद!

मेरठ संभागीय आयुक्त सुरेंद्र सिंह (आईएएस) को ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण का नया सीईओ नियुक्त किया गया है, जिनसे लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं।

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Greater Noida: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)ने बीती 1 मई को प्रशासनिक अमले में काफी फेरबदल किए हैं। इसी दौरान मेरठ संभागीय आयुक्त सुरेंद्र शर्मा को ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Greater Noida Industrial Development Authority) का सीईओ नियुक्त किया गया है। वहीं जीएनआईडीए के पूर्व सीईओ नरेंद्र भूषण का लखनऊ लोक निर्माण विभाग में प्रमुख सचिव के रूप में तबादला कर दिया गया है।

नवनियुक्त सीईओ सुरेंद्र सिंह ने लंबे समय तक वारणसी के मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया है। उसके बाद उन्हें मेरठ संभागीय आयुक्त के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया था। सुरेंद्र सिंह के पास 11 जिलों में कलेक्टर के रूप में कार्य करने का अनुभव है। अथॉरिटी और स्थानीय निवासियों को नए सीईओ से काफी उम्मीदें हैं।

सिटीस्पाइडी से बातचीत में निवासियों ने कहा कि नए सीईओ को उनके आवासीय फ्लैटों की लंबित रजिस्ट्री के मामले को प्राथिमकिता के आधार पर हल कना चाहिए। उन्होंने ग्रेटर नोएडा में खराब इंफ्रास्ट्रक्चर और बुनियादी सुविधाओं को भी हल करने अनुरोध किया है।

ग्रेटर नोएडा वैस्ट और सीनियर एनईएफओडब्ल्यूए के उपाध्यक्ष मनीष कुमार कहते हैं कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के नवनियुक्त सीईओ के लिए लंबित रजिस्ट्री के मामलों को प्राथिमकता के तौर पर हल करना चाहिए। इसी के साथ हम नए सीईओ से उम्मीद कर रहे हैं कि वे ग्रेटर नोएडा वैस्ट के खराब इंफ्रस्ट्रक्चर की स्थिति सुधारने पर भी काम करेंगे।

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उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा वैस्ट में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है और यहां के निवासी अपनी समस्याओं को आए दिन उठाते रहते हैं। ग्रेटर नोएडा वैस्ट में सरकारी अस्पताल, सरकारी स्कूल और कॉलेज की तत्काल आवश्यकता है। इस इलाके में रामलीला मैदान, श्मशान घाट, स्टेडियम, बस स्टैंड और चार मूर्ति गोल चक्कर के पास एक अंडरपास की भी बहुत ज़रूरत है, जिन्हें एक लंबे अर्से से प्रशासन द्वारा कोरे आश्वासन देकर ही टाला जाता रहा है।

इसके अलावा अपने निवासियों की सुरक्षा प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। सीईओ को डार्क पैच को हल्का करना चाहिए और सोडियम स्ट्रीट लाइट के स्थान पर एलईडी रोशनी की व्यवस्था करनी चाहिए।

मनीष कुमार यह भी कहते हैं कि हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है, सीईओ से संपर्क बने रहना। हम उम्मीद कर रहे हैं कि नए सीईओ भी पिछले सीईओ की तरह व्हॉट्सएप पर सक्रिय रहेंगे।

14 वे एवेन्यू के निवासी महावीर थुसू कहते हैं कि ग्रेटर नोएडा वैस्ट के निवासी अपनी स्थानीय समस्याओं से एक लंबे अर्से से जूझ रहे हैं और लगातार शिकायत और गुहार करने के बावजूद इनका समाधान न मिलने से वे काफी नाखुश हैं। ग्रेटर नोएडा वैस्ट की समस्याओं की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यहां जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और मूल-भूत सुविधाओं का घोर अभाव है, क्योंकि वे अभी उसी रूप में हैं, जब ये स्थान विकसित हो रहा था। तब से अब तक इन सुविधाओं के विकास पर तो किसी का ध्यान ही नहीं गया है। उम्मीद की जा रही है कि नए सीईओ लंबित रजिस्ट्री के मामले और मूल-भूत सुविधाओं के पर्याप्त विकास की ओर ध्यान देंगे।

ईको विलेज 2 के निवासी अनुपम मिश्रा कहते हैं कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का बकाया चुकाने के लिए बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। लोग अपनी रजिस्ट्री के लिए परेशान हैं। मेरे हिसाब से तो आवासीय फ्लैटों की रजिस्ट्री पहली प्राथिमकता होनी चाहिए।

एसआरएसजी निवासी गौरव पटेल कहते हैं कि वैसे तो हम तथाकथित स्मार्ट सिटी में रह रहे हैं, लेकिन ग्रेटर नोएडा वैस्ट अपनी पिछड़ी हुई सुविधाओं के चलते स्मार्ट सिटी तो बिल्कुल नहीं लगती है। हमारे पास न तो सरकारी स्कूल, कॉलेज है, न हॉस्पिटल और न ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट। ग्रेटर नोएडा वैस्ट में मूल-भूत सुविधाओं का पूरी तरह से अभाव है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि ग्रेटर नोएडा वैस्ट अपने नाम के अनुरूप कभी न कभी वास्तव में एक स्मार्ट सिटी बन जाएगा। फिलहाल को उस दिन का इंतज़ार है।

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