ग्रेटर नोएडा वैस्ट। गर्मियों के दिनों में आग लगने की घटना एक सामान्य बात है। विगत कुछ दिनों में ही ग्रेटर नोएडा में कई जगह आग लगने की घटनाएं घट चुकी हैं। इन लगातार हो रही आगज़नी की घटनाओं से लोगों में खासी चिंता व्याप्त है, क्योंकि इस क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में फायर स्टेशन की कमी है। इसके चलते हर बार आग लगने पर फायर बिग्रेड को घटनास्थल तक पहुंचने में बहुत ज़्यादा समय लग जाता है। इन सभी समस्याओं के मद्देनज़र ग्रेटर नोएडा के निवासी एक और फायर स्टेशन की मांग कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में पंचशील ग्रीन्स-2 में बीती 29 अप्रैल की रात को भयानक आग लग गई। यहां फायर ब्रिगेड की गाड़ी वहां काफ़ी देर से पहुंच पाई थी। इससे स्थिति काफ़ी बिगड़ गई थी और नुकसान भी बहुत हुआ था। आग की इस घटना ने स्थानीय निवासियों को काफी भयभीत कर दिया है।
लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में दमकल केंद्रों की कमी लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है। वर्तमान में इस इलाके में केवल एक फायर स्टेशन है और आग लगने की सूचना मिलने के बाद भी दमकल की गाड़ी को पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है। हम लगातार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से एक ओर फायर स्टेशन की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
बता दें कि इससे पहले भी 18 अप्रैल, 2022 को ग्रुप हाउसिंग सोसायटी मेफेयर में भी आग लगने की घटना सामने आई थी। उस घटना में भी काफी हानि हुई थी और उसके दो दिन बाद 20 अप्रैल को पाम ओलपिंया में भी आग लगने की एक घटना की सूचना मिली। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि सूचना मिलने के बाद भी फायर ब्रिग्रेड को घटनास्थल तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है। यह स्थिति लोगों को और ज़्यादा चिंतित कर रही है, क्योंकि आने वाले दिनों में गर्मी का प्रकोप और ज़्यादा बढ़ेगा। तब इन घटनाओं को कैसे नियंत्रित किया जाएगा, इसका कोई संतोषजनक जवाब अभी तक प्रशासन के पास नहीं है। शायद किसी दिन कोई बड़ी विनाशक घटना से ही प्रशासन की नींद टूटेगी।
गौर सिटी 2, 14वी एवेन्यू के निवासी महावीर थुसू कहते हैं कि ग्रेटर नोएडा वैस्ट में कम से कम एक और फायर स्टेशन की तत्काल आवश्यकता है। ग्रेटर नोएडा वैस्ट में हाईराइज सोसायटियों की संख्या और उनकी आबादी दिनोदिन बढ़ती जा रही है। प्रशासन को इस इलाके में दो या तीन किलोमीटर की रेंज में कम से कम दो या तीन फायर स्टेशन उपलबध कराने चाहिए।
श्रीराधा सोसायटी के निवासी गौरव पटेल लगातार इस मुद्दे को प्राधिकरण के सामने उठाते रहे हैं। उनका इस बारे में कहना है कि यह सिर्फ एक सोसायटी की समस्या नहीं है। लगभग हर सोसायटी इस तरह की समस्याओं को सामना कर रही है। ग्रेटर नोएडा वैस्ट में बुनियादी सुविधाओं का अभाव ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की असफलता को दिखाता है।
इकोविलेज-2 के निवासी और नेफोवा के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मनीष कुमार कहते हैं कि ईकोटेक में ही अकेले 12 सोसाटियां हैं। इसके साथ यहां पर बहुत से उद्योग और फैक्ट्रियां भी हैं, जिन्हें फायर टेंडर की जरूरत है। आग लगने की घटना होने के बाद फायर बिग्रेड को यहां तक पहुंचने में खासा समय लग जाता है। ग्रेटर नोएडा में ज्यादातर ऊंची सोसायटी हैं, लेकिन अग्निशमन विभाग की सीढ़ियां मुश्किल से शुरुआती मंजिल तक पहुंच पाती हैं, इसलिए उनके पास वर्तमान में आग से बचाव के लिए ज़रूरी उपाय और संसाधन कितने हैं, यह अपने-आप में ही सवालों के दायरे में आ जाता है। अग्निशमन विभाग को सुरक्षा की दृष्टि से और अधिक संसाधनों की ज़रूरत है।
पंचशील ग्रीन्स-2 के निवासी दीपांकर कुमार भी फायर स्टेशनों को बढ़ाने की बात पर ही ज़ोर देते हैं। उनका कहना है कि हमारी सोसायटी में आग लगने की घटना होने पर करीब 50 मिनट बाद अग्निशमन की गाड़ी पहुंची थी। इससे आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि नुकसान का स्तर क्या रहा होगा। इस बात से सोसायटी के लोग खासे नाराज थे और मामला भी पेचीदा हो चला था।
मेफेयर रेजिडेंसी के निवासी प्रीत बैजल कहते हैं कि ग्रेटर नोएडा वैस्ट का फायर इंफ्रास्ट्रक्चर काफी खराब हालत में है। हमारी सोसायटी की फायर एनओसी रद्द कर दी गई है। जब हमने अपनी समस्या की शिकायत अग्निशमन अधिकारियों से की तो उन्होंने भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
ला रेजिडेंसिया निवासी सुमिल जलोटा कहते हैं कि साल 2019 में हमने तत्कालीन पुलिस आयुक्त के साथ एक प्रेजेंटेशन साझा की थी, जिसमें हमने प्रस्ताव दिया था कि ग्रेटर नोएडा वैस्ट में एक और फायर स्टेशन स्थापित करने के लिए इकोटेक 12 उपयुक्त स्थान है।
यह बात ध्यान देने योग्य है कि ग्रेटर नोएडा वैस्ट की आबादी दो लाख से ज्यादा है और यहां एक आगज़नी की घटनाओं से सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए और फायर स्टेशन की आवश्यकता है। ग्रेटर नोएडा को अलग-अलग स्थानों पर कुछ दमकल गाड़ियां तैनात करनी चाहिए, जिससे स्थानीय निवासियों की मदद हो सके। अभी तो हाल यह है कि जब भी आगज़नी की घटना होती है तो वहीं के स्थानीय लोगों को अपनी सुरक्षा का ज़िम्मा उठाना पड़ता है। प्रशासन का इस संदर्भ में अगर अभी तक का रवैया देखें तो वह संतोषजनक नहीं है। यह बात स्थानीय निवासियों को और भी चिंतित बना रही है। प्रशासन को इस मामले की गंभीरता को समझना चाहिए और ज़रूरी ठोस कदम उठाने के लिए किसी बड़ी घटना का इंतज़ार नहीं करना चाहिए।