मूलभूत सुविधाओं की बदइंतज़ामी से परेशान हैं फ्यूज़न होम के निवासी

सोसायटी में बुनियादी सुविधाओं के अभाव के बाद भी बिल्डर कर रहे हैं मेंटनेंस शुल्क में बढ़ोत्तरी। नहीं है कोई इन निवासियों की सुध लेने वाला, सो बिल्डर को मिल गया है मनमानी का अधिकार।

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Greater Noida West: फ्यूज़न होम के निवासी मूल-भूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। अपनी समस्याओं को लेकर इन लोगों ने हाल ही में बिल्डर के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था। एक मूर्ति सर्किल पर हुए प्रदर्शन में लोगों ने आरोप लगाया कि सोसायटी में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। इसके बावजूद बिल्डर मेंटेनेंस चार्ज में लगातार बढ़ोत्तरी कर रहा है।

फ्यूज़न होम के निवासियों ने कहा कि पहले मेंटेनेंस चार्ज जीएसटी के 1.80 रुपये था। इसके बाद 29 मार्च को बिल्डर ने निवासियों को एक पत्र भेजा और मेंटेनेंस चार्ज बढ़ाकर 2.65 रुपये  कर दिया, जो 1 अप्रैल, 2022 से लागू  कर दिया गया था। निवासियों ने आरोप लगाया कि बिल्डर ने न तो निवासियों को कोई नोटिस दिया और न ही कीमतें बढ़ाने के विषय पर सोसायटी के लोगों से चर्चा की।

फ्यूज़न होम सोसायटी के निवासियों का कहना है कि मेंटेनेंस चार्ज बढ़ाने के बाद भी सोसायटी में मूल-भूत सुविधाओं का भारी अभाव है और बिल्डर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहा है। निवासियों का कहना है कि सोसायटी के गंभीर मुद्दों में इसके खंभों में दरारें आना और सोसायटी के सुरक्षात्मक उपायों में कमी शामिल है। उनकी यह भी शिकायत है कि सोसायटी के गेट नंबर 2 और 3 का संचालन सही ढंग से नहीं हो रहा है और सोसायटी में साफ-सफाई की भी बहुत कमी है।

इस सोसायटी की बेसमेंट पार्किंग में उचित रौशनी और साफ-सफाई का अभाव हमेशा बना रहता है। पार्किंग में हर समय धूल और गंदगी का ढेर लगा रहता है। अन्य ज़रूरी सुविधाओं के अभाव के चलते यहां हर समय किसी बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है।

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निवासियों ने कहा कि स्ट्रक्चरल ऑडिट के लिए पत्र जारी किया गया है, लेकिन बिल्डर की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। मेंटेनेंस टीम भी कथित तौर निवासियों की भलाई के लिए कोई काम नहीं कर रही है।

फ्यूज़न होम के निवासी अरुण अवस्थी कहते हैं कि यहां के गार्डों को तो यह भी नहीं पता कि उनका काम क्या है। हमारे जानकारी के बिना कोई भी, कभी भी आ सकता है, जिससे सुरक्षा का खतरा बना रहता है। आवारा जानवर जैसे कुत्ते और गाय आदि यहां आराम से आते-जाते हैं। इन गार्ड्स का होना, न होना बराबर है।

वे आगे कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति सोसायटी में फ्लैट लेता है तो उसके पीछे सबसे बड़ा कारण है सुरक्षा। यहां सुरक्षा जैसी कोई चीज़ नहीं है। कोई भी कभी भी किसी गेट से परिसर में प्रवेश कर सकता है। गेट नंबर 2 और 3 पर कोई गार्ड तैनात नहीं होता। साथ ही इन फाटकों पर इंटरकॉम की भी सुविधा नहीं है। अगर गार्ड दूसरे गेट पर बैठता है तो भी वह किसी आंगतुक को अंदर भेजने से पहले कुछ नहीं पूछेंगे।

फ्यूज़न होम्स के रहने वाले कुणाल कौशिक कहते हैं कि हम बिल्डर के खिलाफ लगातार आवाज़ उठा रहे हैं। पूरी सोसायटी की पार्किंग को डंपिंग यार्ड में तब्दील कर दिया गया है। बेसमेंट पार्किंग में कूड़ा फेंकने के खिलाफ सोसायटी के लोग आवाज़ उठा रहे हैं। महीनों से पड़े कूड़े के ढेर से निकलती दुर्गंध के कारण एफ टावर और एल टावर के लोगों का जीना दूभर हो गया है। इस कारण कई बार छोटे बच्चे भी बीमार हो गए हैं।

इसी सोसायटी के निवासी संजीव शुक्ला कहते हैं कि सोसायटी में कभी भी फॉगिंग का कार्य होते नहीं देखा गया है। बेसमेंट पार्किंग में बहुत सारा पानी जमा हो गया है और यहां मच्छरों व कीड़ों की भरमार है। खंभों और दीवारों में दरारें यहां एक गंभीर समस्या है। कई बार शिकायत के बावजूद इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मेंटनेंस के कर्मचारी भी काम में कोताही बरतते हैं। चिल्ड्रन पार्क की हालत भी बहुत दयनीय है।

यहां के एक और निवासी जीवन सिंह कहते हैं कि सोसायटी के सभी फ्लैटों में कई छोटी और बड़ी दरारें हैं। मैं पन्द्रहवी मंजिल पर रहता हूं और इन दरारों को देखकर डर लगता है। हाल ही में गुरुग्राम की इमारत ढहने की घटना को कौन भूल सकता है।  हम स्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि बिल्डर उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं देता और किसी भी प्रकार की बातचीत या शिकायत करने पर अभद्र व्यवहार करता है। उसके व्यवहार से यह साफ झलकता है कि न तो उसे कानून का कोई डर है, न ही प्रशासन का। वह पूरी तरह से मनमानी पर उतारू है, क्योंकि उसे लगता है कि यहां की सुध लेने वाला कोई है ही नहीं। ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि क्या स्थानीय निवासियों की तरह ही प्रशासन भी इन बिल्डर्स के सामने घुटने टेकने को विवश है या प्रशासन को इन निवासियों के जान-माल की कोई चिंता है।

सिटीस्पाइडी ने जब फ्यूज़न घरों के मेंटनेंस कार्यालय से संपर्क करने का प्रयास किया तो उनके फैसिलिटी मैनेजर राधेश्याम पांडे का कहना था कि अपार्टमेंट बनाना और अपार्टमेंट बेचना एक आसान काम है, लेकिन इसकी व्यवस्था बनाए रखना बिल्कुल भी आसान नहीं है। इस सोसायटी में लगभग 250 परिवार रहते हैं। अगर बिल्डर ने कुछ नहीं किया है तो यहां इतने लोग सुरक्षित कैसे रह रहे हैं। वे हमेशा एक डर में जीने को मजबूर रहते हैं। ऐसा लगता है कि यहां घर लेकर उन्होंने कोई भारी ग़लती कर दी है।

बेसमेंट पार्किंग में डंप किए गए मलबे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का निर्देश है कि मलबे को खुली सड़कों पर न फेंकें। निर्माण कार्य चलता ही रहता है। अब इस मलबे को हम सड़क पर तो फेंक नहीं सकते। फिर भी हम कोशिश करेंगे कि यह मलबा एक महीने में साफ़ हो जाए।

प्रशासन इन सोसायटियों के मुद्दों के प्रति जिस प्रकार से उदासीनता बरतता है, उससे तो लगता है कि ये निवासी इस स्मार्ट सिटी का हिस्सा हैं ही नहीं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए, वह भी बिना किसी बड़े हादसे का इंतज़ार किए।

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