नई दिल्ली। दिल्ली की पॉश कॉलोनियों में शुमार विकासपुरी की आवासीय सोसाइटियों में रहने वाले लोग एक वीरान पड़े पार्क व सड़क किनारे फैली गंदगी से जुड़ी समस्या को लेकर परेशान हैं। लोगों का कहना है कि सरकारी एजेंसियां विकासपुरी को उपेक्षित कर रही हैं। जनप्रतिनिधियों का ध्यान इलाके की समस्याओं की ओर तभी जाता है, जब चुनाव का वक्त हो और उन्हें वोट लेने की पड़ी हो। लेकिन अब लोगों के सब्र का बांध का टूट रहा है और लोग इन मुद्दों पर गोलबंद होने लगे हैं।
पार्क में हर जगह मलबा
एवरसाइन व देवदूत अपार्टमेंट के बीच में बने पार्क में जगह जगह मलबा पड़ा है। पार्क में हरियाली के लिए कभी निगम उद्यान विभाग ने कोशिश की हो, यह कहीं नजर नहीं आता है। पार्क में दो अस्थायी शौचालय बना दिए गए हैं। पिछले आठ महीने से यहां पड़े हैं। इनकी साफ सफाई के लिए शायद ही यहां कोई आता हो। उपेक्षित पड़े इस पार्क का इस्तेमाल कूड़ा फेंकने के लिए भी किया जाता है। जगह जगह फैली गंदगी से निकलने वाली बदबू से लोग परेशान हैं।
विकासपुरी निवासी शशिधरन बताते हैं कि केवल सनशाइन या देवदूत ही नहीं बल्कि परमार्थ, रक्षा विकास, नाइटेंगिल, लोक विहार व अन्य साेसाइटी में रहने वाले लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं।

नीलम वर्मा बताती हैं कि विकासपुरी के नाम में भले ही विकास शब्द लगा हो, लेकिन सरकार ने कभी यहां विकास के लिए गंभीरता से कोई प्रयास किया हो, यह दिखाई नहीं देता है। विकासपुरी के पीछे से नजफगढ़ ड्रेन बहती है, इसके किनारे गंदगी से बुरा हाल है।

विकासपुरी निवासी राजश्री चौहान का कहना है कि एक तरफ दिल्ली में इन दिनों सरकारी एजेंसियों द्वारा वन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। दूसरी ओर विकासपुरी का एक पार्क गंदगी की समस्या से जूझ रहा है। क्या इस पार्क की सफाई व यहां हरियाली के लिए सरकारी एजेंसियों को प्रयास नहीं करना चाहिए।

वैभव बताते हैं कि पार्क की गंदगी के कारण लोग अपनी खिड़कियां खोलने से भी परहेज करने लगे हैं। पार्क में बेसहारा पशु घूमते रहते हैं। आखिर इस पार्क की उपयोगिता क्या है। आखिर इसे उपेक्षित क्यों किया गया है? इर सवालों का उत्तर प्रशासन को देना ही होगा।