New Delhi। घरेलू रसोई गैस की कीमतों में दिनोदिन बढ़ोत्तरी होती जा रही है और अब यह 1000 रुपये का आंकड़ा पार कर गई है। एक सिलेंडर की कीमत बढ़ते-बढ़ते 1003 रुपए हो गई है, जबकि पहले यह 999.50 रुपये थी। मई महीने में सिलेंडर की कीमतों में यह दूसरी बार बढ़ोत्तरी हुई है। इससे पहले 22 मार्च, 2022 को सिलेंडर की कीमत में 50 रुपये की वृद्धि की गई थी। फिर 7 मई, 2022 को कीमतों में और पचास रुपये की बढ़ोत्तरी कर दी गई ।
एक निजी फर्म में काम करने वाले द्वारका सेक्टर 23 के निवासी शशिकांत कहते हैं कि सिलेंडरों की कीमतों में यह लगातार बढ़ोत्तरी हमारे बोझ को और बढ़ाएगी। गर्मियों के कारण, हम पहले से ही उच्च बिजली बिल, पानी के बिल, बच्चों की बढ़ी हुई स्कूल की फीस का भुगतान कर रहे हैं। ऐसे में अन्य खर्चें भी हैं, जो हर माह हमारा बजट बिगाड़ देते हैं। मुझे नहीं पता सरकार हमारे साथ ऐसा क्यों कर रही है। घरेलू सामानों की कीमतों में इस प्रकार की वृद्धि मध्यम वर्ग के लोगों की रीढ़ तोड़ देगी।
द्वारका सेक्टर 5 के निवासी विजय भारद्वाज कहते हैं कि सिलेंडरों के दामों में ये निरंतर बढ़ोत्तरी रसोई गैस को आम आदमी की पहुंच से बाहर कर देगी। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन ज्यादा दूर नहीं कि रसोई गैस की कीमत दो हज़ार रुपये तक बढ़ जाएगी। इस तरह तो ये हमारी सारी बचत खत्म कर देंगे।
एक फर्म में एचआर के तौर पर काम करने वाली द्वारका सेक्टर 12 की निवासी कीर्ति तिवारी कहती हैं कि गर्मियों में खर्चे अपने-आप बढ़ जाते हैं। अब इस सिलेंडर के दाम बढ़ने से यह बहुत ज़रूरी है कि हमारी सरकार आम आदमी के बारे में सोचे।

फैशन डिजाइनर और नवादा की रहने वाली सुमन भूषण कहती हैं कि इस बढ़ोत्तरी से हमारे लिए दिक्कतें ही बढ़ेंगी। पहले से ही ईंधन की कीमतें आसमान छू रही हैं और अब यह सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। हम क्या खाएंगे? यह वास्तव में अब बजट से बाहर हो रहा है। हमें कुछ बचत करने की जरूरत है जो अब मुश्किल लगता है।
द्वारका सेक्टर 8 निवासी माधुरी भारद्वाज, जो शिक्षक के रूप में काम करती हैं, कहती हैं कि मुझे नहीं पता कि क्या कहूं, यह सुनकर मुझे बहुत चिंता हो रही है और केवल इस बात की चिंता है कि मैं सब कुछ कैसे प्रबंधित करूंगी। मुझे लगता है कि हम सभी को उस समय में वापस जाना होगा, जब हम मिट्टी के बर्तन में खाना बनाते थे। हमारे पास दूसरे खर्च भी हैं। अगर सिलेंडर ही इतना महंगा है तो हम बाकी खर्चों का प्रबंधन कैसे करेंगे?