मेटा ने न्यूड कंटेंट सर्कुलेट होने से रोकने के लिए किया ‘टेक इट डाउन’ टूल लॉन्च

सोशल मीडिया (Social Media) की सर्वाधिक पॉपुलर कंपनी मेटा (Meta) ने अश्लील कंटेंट यां फोटो को रोकने के लिए कमर कस ली है.

न्यूज़ संस्कृति

New Delhi: – सोशल मीडिया (Social Media) की सर्वाधिक पॉपुलर कंपनी मेटा (Meta) ने अश्लील कंटेंट यां फोटो को रोकने के लिए कमर कस ली है.
कंपनी मेटा ने प्लेटफार्म पर न्यूड कंटेंट को सर्कुलेट होने से रोकने के लिए ‘टेक इट डाउन’ टूल लॉन्च कर दिया है. इस टूल को अंतरराष्ट्रीय संस्था नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लोइटेड चिल्ड्रन द्वारा ऑपरेट किया जाता है. सोशल मीडिया कंपनी मेटा ने इस टूल को लॉन्च करने के पीछे सेक्सटॉर्शन के मामलों को कम करने एवं लोगों की प्राइवेसी को बनाए रखने की मंशा जतलाई है.
इस टूल की सहायता से पूर्व में अपलोड की गई नगन – अर्धनग्न फोटो को भी प्लेटफार्म से हटा कर उसे फैलने से रोका जा सकता है. मेटा ने बताया कि इस टूल को हिंदी में इस साल के अंत तक भारत में लॉन्च किया जाएगा और आने वाले समय में अन्य रीजनल लैंग्वेज में भी ये देखने को मिलेगा. सोशल मीडिया पर न्यूड कंटेंट आजकल तेजी से सर्कुलेट होता है. ऐसे कंटेंट को हथियार बना कर लोगों को ब्लैकमेल आदि किया जाता है.

यह भी पढ़ें: आकाश ने गिनती गिनने में तोड़ा अमेरिका के हार्पर का रिकार्ड

भारत में इंटरनेट यूजर्स की तादाद बहुत ज्यादा है और इसमें से कुछ प्रतिशत आबादी उन लोगों की है जो 18 साल से कम उम्र के हैं. 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के भी सोशल मीडिया पर बहुत अकाउंट हैं. उल्लेखनीय है कि फेसबुक व इंस्टाग्राम पर 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के अकाउंट बनाए जा रहे हैं, कुछ देशों में यह सीमा 18 वर्ष है। इनसे बच्चों की तस्वीरें, वीडियो आदि लीक होने का खतरा बना रहता है, जिनका चाइल्ड पोर्न सामग्री में उपयोग होता पाया गया है. बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल खूब करते हैं और वे आसानी से किसी के भी जाल में फस जाते हैं और फिर लोग इस बात का गलत फायदा उठाते हैं.
एक स्टेटिक्स वेब साइट के अनुसार मार्च 23 में पचास करोड़ से अधिक फेसबुक यूजर्स हैं. इसमें 13-17 आयु समूह में फेसबुक प्रयोग करने वाले मेल बच्चों में कुल यूजर्स का 5.9 प्रतिशत के साथ लगभग तीन करोड़ यूजर्स अकाउंट हैं. जबकि फीमेल अकाउंट धारकों में 3.4 प्रतिशत के साथ एक करोड़ सत्तर लाख मौजूद हैं. वहीँ हम बात करें इन्स्टाग्राम अकाउंट की तो मार्च 23 के कुल आंकड़ों में कुल 32 करोड़ यूजर्स में 4.8 प्रतिशत के साथ एक करोड़ तिरेपन लाख मेल बच्चों के खाते मौजूद हैं, जबकि 7.7 प्रतिशत के साथ दो करोड़ अडतालीस लाख फीमेल बच्चों के इंस्टाग्राम अकाउंट मौजूद हैं.

लेकिन अब सोशल मीडिया कंपनी मेटा के इस टेक इट डाउन टूल की मदद से यदि कोई यूजर किसी फोटो को रिपोर्ट करता है तो उस फोटो का एक डिजिटल फिंगरप्रिंट बन जाता है. जिसे Hashes कहा जाता है. यह डिजिटल फिंगरप्रिंट फोटो को कोड में बदल देती है और फिर कोई भी व्यक्ति इस फोटो को देख नहीं सकता. इस टूल की अच्छी बात यह है कि एक बार फोटो को रिपोर्ट करने के बाद प्लेटफार्म पर वैसी जितनी भी फोटो होंगी वह सभी ओपन नहीं होंगी. यदि कोई व्यक्ति उस फोटो को प्लेटफार्म पर अपलोड करने की भी कोशिश करता है तो वह भी संभव नहीं हो सकेगा.
बच्चों की सुरक्षा खतरे में डालने के लिए यूरोपीय संघ सहित कई देशों में हजारों करोड़ रुपये के जुर्माने लगने के बाद फेसबुक की मालिकाना कंपनी मेटा ने कुछ नये कदम उठाए. जिनके तहत 16 साल से छोटे बच्चों के अकाउंट के लिए फेसबुक व इंस्टाग्राम पर नये प्राइवेसी फिल्टर और सेटिंग जारी की गई है. विदित हो कि सोशल मीडिया कंपनियों पर अपने वित्तीय फायदे के लिए बच्चों का निजी डाटा चुराने, स्टोर करने और उनकी पहचान व सुरक्षा खतरे में डालने के आरोप कई बार लगे हैं.
मेटा के अनुसार, बच्चों के अकाउंट, फ्रेंड लिस्ट, उनके द्वारा फॉलो किए लोगों व पेज आदि को कौन देख सकता है, यह अब नये फिल्टर से तय हो सकेगा. बच्चों को टैग करके की गई पोस्ट भी बिना अनुमति नहीं देखी जा सकेगी. संदिग्ध लोगों के अकाउंट बच्चों को अपने प्रोफाइल के ‘शायद आप इन्हें जानते हों’ सेक्शन में नजर नहीं आएंगे, ताकि उन्हें बच्चों से जुड़ने से रोक सकें. संदिग्ध अकाउंट उन्हें माना गया, जिन्हें मौजूदा समय में किसी अन्य कम उम्र यूजर्स ने रिपोर्ट किया हो.

Leave a Reply

Your email address will not be published.