Faridabad: आज के इस आधुनिक युग में महिलाओं का आत्मनिर्भर होना बेहद जरूरी है, क्योंकि पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर महिलाएं भी न केवल समाज में अपनी अलग पहचान बना सकती हैं बल्कि आदर्श समाज की स्थापना में भी अपना अहम योगदान दे सकती है। यहां कहना है सामाजिक संस्थान उड़ान की सचिव डॉ. हिना माथुर का। डॉ. हिना माथुर जरूरतमंद एवं असहाय महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अहम योगदान दे रही हैं। उन्हें समाजसेवा की प्रेरणा अपनी मां को देखकर मिली थी। उनकी मां ममता सक्सेना जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क पढ़ाती थी। ऐसे में डॉ. हिना ने भी बच्चों को पढ़ाने के साथ साथ समाजसेवा की तरफ अपने कदम बढ़ा दिये। उनकी संस्था जरूरतमंद महिलाओं को कई तरह के काम सिखा कर आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही है। पेश है सिटी स्पाइडी के संवाददाता से डॉ. हिना माथुर की बातचीत के अंश :-
सवाल : आपने अपने करियर की शुरूआत कब और कैसे की।
जवाब : 12वीं कक्षा पास करने के बाद मैने कौसीकलां स्थित बचपन प्ले स्कूल में काउंसलर के पद पर काम करना शुरू कर दिया। इसके साथ मैं लगातार अपनी पढ़ाई भी कर रही थी।
सवाल : समाजसेवा करने की प्रेरणा आपके कैसे मिली।
जवाब : मेरी माताजी ममता सक्सेना अध्यापिका है। स्कूल के बाद वे अपने आसपास रहने वाले गरीब बच्चों को घर में शुरू से ही निशुल्क पढ़ाती हैं। उन्हें देखकर ही मुझे भी गरीब बच्चों को पढ़ाने की प्रेरणा मिली। जिसके माध्यम से मैने समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रखना शुरू किया।
सवाल : आपने समाजसेवा की शुरूआत कैसे की।
जवाब : शादी के बाद मैं फरीदाबाद आ गई। यहां मैने घर के आसपास रहने वाले गरीब बच्चों को अपने घर में निशुल्क ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। मेरे पास पढ़ने वाले बच्चों की माताएं भी मदद के लिए आने लगी। तभी मैने अपनी सहेली मोनिका की मदद से घर पर महिलाओं के लिए निशुल्क सिलाई केंद्र शुरू कर दिया।
सवाल : आपने संस्था की स्थापना कब और क्योंकि की।
जवाब : घरेलू हिंसा और आर्थिक तंगी की समस्याएं लेकर महिला लगातार हमारे पास आ रही थी। इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमने 28 अगस्त 2016 को उड़ान वैलफेयर ट्रस्ट की स्थापना की। ट्रस्ट ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई, मेहंदी, डांस, ढोलक और ब्यूटी पार्लर का काम सिखाना शुरू कर दिया। संस्था द्वारा फिलहाल गांव सौतई, मंधावली, कौसीकलां और पर्वतीय कालोनी समेत अन्य स्थानों पर नौ केंद्र चलाए जा रहे हैं।
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सवाल : महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए और क्या प्रयास किए जा रहे हैं।
जवाब : वैसे तो हम कई तरह से महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। हाल ही में हमारी संस्था ने मसालों का काम शुरू किया है। दिल्ली से साबूत मसाले लाए जाते हैं। जिन्हें महिलाएं साफ करके मशीन से पीसती हैं। इन मसालों को उड़ान वैलफेयर ट्रस्ट का लेबल लगा कर पारदर्शी पैकेट में पैक किया जाता है। इससे महिलाओं को रोजगार और लोगों को कम कीमत पर शुद्ध मसाले मिल रहे हैं।
सवाल : लॉकडाउन में आपने जरूरतमंदों की कैसे मदद की।
जवाब : हमने करीब दो महीने तक जरूरतमंदों को भोजन वितरित किया। साथ ही जरूरतमंद लोगों के घरों में राशन भी पहुंचाया था। आम दिनों में हम गरीब लड़कियों की अपने खर्च पर शादियां भी करवाते हैं।
सवाल : वर्तमान में जरूरतमंद बच्चों के लिए आप किस तरह के काम कर रही हैं।
जवाब : स्लम बस्तियों में अपने कई अस्थाई स्कूल चलाए हुए हैं। जहां बच्चों को निशुल्क पढ़ाने का काम किया जाता है। उन्हें शिक्षा के लिए तैयार करने के बाद संस्था उनका सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाती हे। इन बच्चों के लिए किताबों के साथ स्टेशनरी की व्यवस्था भी की जाती है।