Shani Amavasya 2023 : सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब भी शनिवार के दिन अमावस्या पड़ती है तो उसे शनैश्चरी अमावस्या कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शनिदेव का जन्म शनिवार के दिन हुआ था इसीलिए शैनश्चरी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा से जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। इस वर्ष 21 जनवरी, को साल की पहली शनैश्चरी अमावस्या होगी। इस दिन माघ मास की मौनी अमावस्या भी होगी। माघ महीने में शनिवार के दिन होने वाली अमावस्या को बेहद खास माना जाता है। माना जाता है कि इस शुभ संयोग को पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
साल 2023 में 21 जनवरी को माघ महीने की पहली शैनेश्चरी अमावस्या है। शनिवार को अमावस्या का शुभ संयोग कम ही बनता है। आज से करीब बीस साल पहले यानि 1 फरवरी 2023 को ऐसा शुभ संयोग बना था जब माघ मास की अमावस्या को शनिवार पड़ा था और इसी दिन मौनी अमावस्या का पर्व भी मनाया गया।
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21 जनवरी शनिवार को सुबह करीब 6:20 से माघ महीने की मौनी अमावस्या शुरू होगी। जो कि दिन भर रहेगी और रविवार की रात करीब 2:20 मिनट तक रहेगी। इसी कारण स्नान, दान पितरों के लिए तर्पण और पूजा पाठ शनिवार को ही किया जाएगा।
पौराणिक धर्म ग्रंथों में माघ महीने की अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। पद्म, मतस्य और स्कंद पुराण में अमावस्या तिथि को पर्व की संज्ञा दी गई है। इसीलिए इस दिन तीर्थ करने या पवित्र नदियों में स्नान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
पंचांग और ज्योतिषीय गणना के अनुसार 21 जनवरी 2023 को माघ मास की अमावस्या पर खप्पर योग, चतुरग्रही योग, षडाष्टक योग व समसप्तक योग भी बन रहे हैं। इसीलिए इस बार की शनिश्चरी अमावस्या खास होगी। शनिदेव को प्रसन्न और अपनी गलतियों का प्रायश्चित करने के लिए इस बार की शनिश्चरी अमावस्या सबसे खास होगी। इस दिन शनि की प्रिय वस्तुओं का दान करके आप उनकी कृपा के पात्र बन सकते हैं। इस दिन काले कंबल, काले जूते, काले तिल, काली उड़द का दान करना सबसे उत्तम माना गया है।
शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन सरसों के तेल से शनि महाराज का अभिषेक करने से शनिदेव आपकी सभी गलतियों को माफ करते हैं। इसके साथ शनि मंदिर में जाकर दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करें।