Faridabad: करीब 40 लाख की आबादी वाले फरीदाबाद जिले में राष्ट्रीय राजमार्गो का निर्माण और अन्य सड़कों का जाल सरकार द्वारा लगातार विकसित किया जा रहा है। सड़कों पर बढ़ते यातायात के दबाव के कारण सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ती जा रही है। इन दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने वाले लोगों के इलाज की सुविधा सरकारी अस्पताल में न होने के कारण उन्हें दिल्ली रेफर किया जाता है। ऐसे में अनेक घायल इलाज के अभाव में रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। लगातार बढ़ रही इस तरह की घटनाओं को देखते हुए सेवा वाहन के संचालक सतीश चोपड़ा द्वारा ट्रामा सेंटर बनाने की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा लोगों के हस्ताक्षर करवाने के लिए वे अन्य सामाजिक संस्थाओं को इस अभियान से जोड़ रहे हैं।
सेवा वाहन के संचालक सतीश चोपड़ा ने समाजसेवी विष्णु गोयल, धीरज राणा, राजेश शर्मा और मार्बल मार्किट के व्यापारियों से मांगपत्र पर हस्ताक्षर करवाए। साथ ही उन्हें शहर के अन्य नागरिकों के हस्ताक्षर करवाने की जिम्मेदारी दी। सभी ने उन्हें इस जनहित कार्य में सहयोग देने का आश्वासन भी दिया।
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सतीश चोपड़ा ने बताया कि जिले में दो सौ बिस्तरों के बीके सिविल अस्पताल के अलावा अन्य कोई ऐसा अस्पताल नहीं है, जहां गरीब लोग भर्ती हो सके। सिविल अस्पताल में भी फरीदाबाद के अलावा पलवल, हथीन, मेवात समेत अन्य कई जिलों के घायल इलाज के लिए रेफर होकर आते है, क्योंकि पलवल में भी कोई भी ट्रॉमा सेंटर नहीं है। बीके पहुंचने पर उन्हें यहां से दिल्ली रेफर कर दिया जाता है। समय पर इलाज न मिलने से कई घायलों की रास्ते में ही मौत हो जाती है। इसलिए जिले में ट्रामा सेंटर की बेहद जरूरत है। उन्होंने बताया कि केजीपी, केएमपी, मुंबई एक्सप्रेस वे, जेवर एक्सप्रेस वे आदि के रूप में आधारभूत ढांचा तैयार किया जा रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवा भी बेहतर होनी चाहिए। हरियाणा सरकार ने बेहतर विकास के लिए एफएमडीए भी बना दिया, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओ की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए ट्रामा सेंटर की मांग उठा रही है।
सतीश चोपड़ा ने बताया कि वे जिले में ट्रामा सेंटर बनवाने की मांग कर रहे है। जिससे फरीदाबाद, बल्लभगढ़, पलवल, होडल में रहने वाले लोगों को समय पर इलाज मिल सकेग और असमय होने वाली मौतों की संख्या भी कम हो सकेगी। उन्होंने कहा कि वे कई संस्थाओं सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस मुहिम में जोड़ चुके हैं। इस अभियान के तहत मांग पत्र पर एक लाख लोगों के हस्ताक्षर करवाने का लक्ष्य रखा गया है। लक्ष्य पूरा होने पर मांग पत्र सरकार के पास भेजा जाएगा।