Noida- सेक्टर- 11 में एक वरिष्ठ नागरिक को आवारा कुत्ते ने बुरी तरह से काटने की घटना सामने आई. बुरी तरह से डरे बुजुर्ग ने बचाव के लिए जैसे ही अपना पर आगे बढ़ाया कुत्ते ने उन्हें दूसरी बार काट लिया. इसके कारण बुजुर्ग के पैर में दस दांत के निशान पड़ गए हैं. बुरी तरह से भयभीत डरे बुजुर्ग के पैर में लगभग पौने इंच तक कुत्ते का दांत घुस गया. परिसर में आये दिन आवारा कुत्तों द्वारा आक्रामक होने की जानकारी मिल रही है.
पीड़ित बुजुर्ग ने जानकारी दी कि जब वह सुबह के समय में टहलने निकले थे उसी समय पीछे से हल्के भूरे रंग के कुत्ते ने उनका बाएं पैर पकड़ लिया, बचने के प्रयास में जैसे ही उन्होंने पैर आगे बढ़ाया, तो कुत्ता और अधिक आक्रामक हो गया,उसने पैर में दोबारा से दांत घुसा दिया. तुरंत बचाव के लिए पीड़ित बुजुर्ग ने अपनी पानी की बोतल से कुत्ते के ऊपर पानी डाला तो कुत्ता भाग गया. घटना के बाद पैर से काफी देर तक खून निकलता रहा. सेक्टर-11 में 35-40 आवारा कुत्ते आए दिन बुजुर्ग व बच्चों के पीछे लग जाते हैं.
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स्थानीय निवासी हीरालाल गुप्ता ने बताया कि कुत्ते आए दिन आक्रामक होकर घटनाएं कर रहे हैं, कुछ दिनों पहले ही स्थानीय विक्रम सोनी की घरेलू सहायिका के स्वजन को भी कुत्ते ने काट लिया था. वहीँ दूसरी ओर सेक्टर- 27 में भी आवारा कुत्ते ने एक व्यक्ति को काट लिया. पीड़ित सुमित ने बताया कि वह शाम के समय बी ब्लाक के जैन मंदिर के पास टहल रहा था. अचानक पीछे से एक आवारा कुत्ते ने हमला कर दिया, सुमित ने कुत्ते से बचने का प्रयास भी किया, लेकिन तब तक कुत्ते ने काट लिया. आसपास मौजूद लोगों के शोर मचाने पर कुत्ता भाग गया. उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही आवारा कुत्ते ने उनकी बेटी को भी काट लिया था. मामले में लोगों ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया जा रहा है. लोगों ने प्राधिकरण से इन आवारा कुत्तों पर कार्रवाई करने की मांग भी की है.
विदित हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि दुनिया भर में 200 मिलियन से अधिक आवारा कुत्ते हैं और हर साल 55,000 लोग रेबीज से मर जाते हैं. नवंबर 2022 तक संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2019 और 2022 के बीच सड़क/आवारा कुत्तों के काटने के 1.6 करोड़ मामले दर्ज किए गए हैं. भारत का सूचकांक बताता है कि भारत में 6.2 करोड़ स्ट्रीट डॉग हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत देश रेबीज के मामलों की संख्या में भी अग्रणी है, जिसमें सालाना 18,000-20,000 मौतें होती हैं.