द्वारका। गर्मियां आते ही त्वचा को झुलसा देने वाली धूप, मौसमी बीमारियां, डिहाइड्रेशन और पसीने से बुरी हालत होना आम बात है। वैसे ही दिल्ली के तापमान ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। बार-बार मौसम विभाग को यैलो एलर्ट जारी करना पड़ता है, ताकि लोग सचेत रहें और तपती गर्मी व लू से बचने के लिए घर से जब तक बहुत ज़रूरी न हो, न निकलें। वैसे कुछ लोग, जिनका काम घर से चल सकता है या जिन्होंने वर्क फ्रॉम होम लिया हुआ है, वे चाहें तो घर पर आराम से रहना चुन भी सकते हैं, लेकिन वे लोग क्या करें, जिन्हें अपनी रोज़ी-रोटी कमाने के लिए घर से बाहर निकलना ही पड़ता है। सिटीस्पाइडी ने द्वारका के रेहड़ी-पटरी वालों से बात की और जानकारी जुटाई कि वे कैसे चिलचिलाती गर्मी और लू का सामना कर रहे हैं।
द्वारका सेक्टर 9 के एक आइसक्रीम विक्रेता मुकेश कुमार कहते हैं कि ज़रूरी नहीं कि खुशियां बांटने वाले के भाग्य में भी खुशियां लिखी हों। वे कहते हैं कि निसन्देह गर्मियों के दिनों में मेरी आमदनी और दिनों की अपेक्षाकृत अधिक हो जाती है, लेकिन इन दिनों में कुछ पैसे कमाने के लिए मुझे अपने स्वास्थ्य को दांव पर लगाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि मुझे साइनस की समस्या है और मेरे लिए गर्मी और लू में बाहर रहना काफी कठिन हैं, क्योंकि इन दिनों में मेरा स्वास्थ्य और खराब हो जाता है। मैं अपना रोज़गार नहीं छोड़ सकता, इसीलिए मुझे रोज़ यही काम करना पड़ता है, क्योंकि मेरा एक भी दिन घर से बाहर न निकलना सीधे मेरे बच्चों और परिवार की ज़रूरतों को प्रभावित करता है।
द्वारका सेक्टर-8 के गुब्बारे और खिलौना विक्रेता रमेश चौधरी कहते हैं कि गर्मियों के दिनों में पूरे दिन बाहर रहना काफी मुश्किल है, लेकिन उससे भी ज्यादा मुश्किल है भूखे रहना। मेरे दो बच्चे हैं और मैं नहीं चाहता कि उनका भविष्य भी मेरे जैसा हो। वे एक सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं और दोनों बहुत बुद्धिमान हैं। मैं चाहता हूं कि वे ख़ूब पढ़े-लिखें और एक सम्मानजनक नौकरी करें।
वे आगे कहते हैं कि मैं और मेरी पत्नी अपने बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपना सौ प्रतिशत दे रहे हैं। इतनी गर्मी में काम करने से बुखार और आंखों में संक्रमण जैसी कई समस्याएं हो रही हैं। पिछले ही दिनों डिहाइड्रेशन के कारण वे एक सप्ताह तक बिस्तर से नहीं उठ सके थे। वे कहते हैं कि चाहें मौसम कोई भी हो, हम सड़क पर काम करने वाले लोगों को तो मेहनत करनी ही पड़ती है।
द्वारका सेक्टर-23 के फूल विक्रेता लखमीर चंद कहते हैं कि चाहें हमारी तबियत खराब हो, तब भी हम अपनी दुकान आसानी से बंद नहीं करते, क्योंकि लोगों को पूजा, मंदिरों और अन्य अवसरों के लिए रोज़ाना फूलों की आवश्यकता होती है। पसीने, धूल और गर्म लू के कारण हमें बहुत सी समस्याएं होती हैं।
वे आगे बताते हैं कि मैं स्किन एलर्जी से पीडि़त हूं, जिस कारण मेरे बाएं हाथ में खुजली और सूजन है, लेकिन हमें अपना काम करना ही पड़ता है।
लखमीर चंद के भाई रामबीर चंद, जो कि इस काम में उनकी मदद करते हैं, वे कहते हैं कि मैं रोज यहां अपने भाई की मदद के लिए आता है। तपती गर्मी में लू के थपेड़े हमारे काम को न सिर्फ प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी इससे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
गर्मियों में फूलों को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है और उन्हें ताजा रखना मुश्किल होता है। अभी पिछले महीने, फूल के बासी होने के कारण हमें लगभग 25 हजार का नुकसान हो गया। मुझे नहीं पता कि इस समस्या का समाधान क्या है। मुझे बस इतना पता है कि हमें इसे सहना होगा।
जमैटो के डिलीवरी एक्जिक्यूटिव योगेश कुमार कहते हैं कि गर्म लू हमारे लिए बहुत सारी बाधाएं पैदा करती है, लेकिन लोगों को खाना पहुंचाना हमारा काम है। मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हूं और मुझे उनकी दवाओं से लेकर हर चीज़ का ध्यान रखने की ज़रूरत होती है। मेरे परिवार की बुनियादी आवश्यकताओं के लिए मेरा काम करना ज़रूरी है। मेरी मां डायबिटीज़ से पीड़ित हैं और उनकी जांच व दवाओं का नियमित रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है।
लू, गर्म हवाएं, तपता सूरज, सभी असल में मेरे लिए समस्याएं हैं, लेकिन इसके कारण मैं घर नहीं बैठ सकता। कुछ दिनों पूर्व मुझे बुखार और सिरदर्द था, जिसके कारण मैंने चार दिनों की छुट्टी ले ली, लेकिन इस कारण मेरे वेतन में कटौती हो गई, जिससे मेरी मुश्किल और बढ़ गई।
इससे हम तो यही महसूस कर पाए कि मौसम की मार चाहे कितनी भी तेज़ हो, भूख के सामने हर समस्या छोटी होती है।