सूखे के लक्षण : जमीन में 500 फुट नीचे भी नहीं है पानी, सूख रहे है शहर के पार्क

मानव द्वारा प्राकृतिक के साथ खिलवाड़ किए जाने के दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं।

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Faridabad: मानव द्वारा प्राकृतिक के साथ खिलवाड़ किए जाने के दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं। अरावली पर्वत माला में लगातार अवैध रूप से किए गए खनन, पेड़ों की कटाई और वन क्षेत्र में नियमों को ताक पर रख कर किए जा रहे अवैध निर्माणों के लक्षण तो बडख़ल झील सूखने के साथ ही नजर आने शुरू हो गए थे, लेकिन अब शहर में पर्यावरण की स्थिति भयाभय होती जा रही है।

अरावली पर्वती की तलहटी में बसे एनआर्ईटी इलाके में करीब तीन दशक पहले तक भूजल 15 से 20 फुट नीचे तक मौजूद था, लेकिन अपने फायदे के लिए इंसान द्वारा की गई गलतियों के कारण अब इलाके में जमीन के 500 फुट नीचे भी पानी मौजूद नहीं है। जिसके कारण इलाके की कई कालोनियों के सैर करने का एक मात्र सहारा प्याली फैक्ट्री चौक का रोज गार्डन सूख कर बंजर हो गया है। भूजल स्तर गिर जाने से पार्क के दोनों ट्यूबवैल सूख चुकी हैं। निगम द्वारा जांच करवाने पर पता चला कि जमीन में 500 फुट नीचे तक भी पानी मौजूद नहीं है।

रहने लायक नहीं रहेगा शहर

नगर निगम की लापरवाही के कारण व्याप्त गंदगी और अन्य कई कारणों की वजह से प्रदूषण के मामले में शहर पहले ही देश के दूसरे नंबर का खिताब हासिल कर चुका है। पेड़ों की कमी कारण बढ़ते प्रदूषण की वजह से शहर की आवोहवा सांस लेने लायक नहीं रह गई है। सरकार के लाख दावों के बावजूद शहर में प्रदूषण तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। भूजल स्तर गिरने की वजह से शहर में स्वच्छ ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए बने पार्क भी अब उजडऩे लगे हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण प्याली फैक्ट्री चौक पर स्थित रोज गार्डन है। यदि शहर में भूजल भी इसी तरह से गिरता रहा तो आने वाले चंद सालों बाद शहर की हवा न सांस लेने लायक रह जाएगी और न ही पानी पीने लायक रहेगा। जिसके कारण शहर के लोगों के पास यहां से पलायन करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा। पर्यारवरण संतुलन बिगडऩे के  तमाम लक्षण सामने आने के बावजूद सरकार जरा भी गंभीरता नहीं बरत रही है। यह स्थिति सिर्फ फरीदाबाद की नहीं बल्कि गुरूग्राम और एनसीआर के अन्य शहरों की भी होने जा रही है।

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पर्यावरण के लिए अरावली बचाना जरूरी

जब तक अरावली पर्वत माला सुरक्षित थी, तब तक शहर में स्वच्छ हवा और जमीन के भीतर पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध था, लेकिन करीब तीन से चार दर्शक पहले अरावली की पहाडिय़ों का जमकर दोहन किया जाने लगा। पर्यावरण की अनदेखी कर पहाड़ में खनन कार्य किया जाने लगा, लेकिन जब बडख़ल झील सूख गई तो सुप्रीम कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए सूरजकुंड और बडख़ल क्षेत्र की पहाडिय़ों पर खनन करने पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन इसके बावजूद इतने सालों से लगातार अवैध रूप से चोरी छिपे खनन कार्य किया जा रहा है। साथ ही पेड़ों की जमकर कटाई भी की जा रही है। स्थिति तो तब भयानक हो गई जब लोग अरावली के वन क्षेत्र में पहाड़ तोड़ कर और पेड़ों को काट कर अवैध तरीके से निर्माण करने लगे। प्रकृति के खिलाफ इन अनैतिक कामों को रोकने की बजाए उल्टा सरकार ने पीएलपीए एक्ट में संशोधन करने का बिल तक पास कर दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में खुद ही संज्ञान लेते हुए इस एक्ट के खिलाफ स्टे आर्डर जारी कर दिया है। मामला अभी अदालत में विचाराधीन है।

पानी के अभाव में सूखता जा रहा है पहली फैक्ट्री चौक स्थित मिनी रोज गार्डन।

भूजल स्तर गिरने से उजड़ा पार्क

प्याली फैक्ट्री चौक पर स्थित रोजगार्डन में एनआईटी इलाके के हजारों लोग हर रोज सैर करने के लिए आते हैं। इनमें जवाहर कालोनी, संजय कालोनी, पर्वतीय कालोनी, प्रैस कालोनी, जवाहर कालोनी भाग दो, कपड़ा कालोनी और डबुआ कालोनी के लोग शामिल है। करीब डेढ़ महीने पहले तक पार्क पूरी तरह हराभरा और खूबसूरत था, लेकिन तेज गर्मी पडऩे के साथ पार्क में पानी उपलब्ध करवाने वाले दोनों ट्यूबवैल सूखने लगे। जिसके कारण ट्यूबवैलों से पानी आना बंद हो गया। पार्क में नियमित रूप से आने वाले कुछ लोगों ने शुरूआत में टैंकरों की मदद से पेड़ पौधों पर पानी देने का प्रयास किया, लेकिन इसका कोई फायदा नजर नहीं आया। पार्क को सूखते देख इन लोगों ने इसकी शिकायत निगम के एक्सईएन बिजेंद्र करदम से की। उन्होंने भूजल स्तर की जांच करवाई तो पता चला कि जमीन में 500 फुट नीचे भी पानी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में निगम के पास भी पार्क को बचाने का कोई रास्ता नहीं बचा। लोगों की मांग पर अब निगम पार्क में पानी की व्यवस्था करवाने के लिए पास ही गुजर रहे नाले पर एसटीपी लगवाने की योजना बना रहा है।

आम लोगों हो जागरूक

बन्नू मरवत बिरादरी के पूर्व प्रधान तिलक कथुरिया ने कहा कि भूजल स्तर गिरने के कई कारण है। अब स्थिति पर नियंत्रण पान के लिए शहर के लोगों को भी जागरूक होना होगा। पानी के दुरूपयोग को बंद कर लोगों को ज्यादा से ज्यादा पानी बचाने का प्रयास होना चाहिए।

वाटर रिर्चाज होना जरूरी

समाजसेवी रविंद्र राघव ने बताया कि कई खामियों के कारण बरसाती पानी जमीन में रिचार्ज नहीं होता है। बरसात का पानी का जमीन में जाने की बजाय बहकर चला जाता है। जिसके कारण भूजल स्तर गिरता जा रहा है। इसलिए पानी रिचार्ज के लिए प्रयास करने होंगे।

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