बिल्डर की करतूत की सज़ा भुगत रहे हैं सोसायटी के निवासी

प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले दिनों एसआरएस सोसयटी में रहने वाले 1377 मकानों को दस दिन के भीतर खाली करने का नोटिस जारी किये थे। जबकि इन लोगों ने जीवन भर की कमाई और बैंकों से लोन लेकर बिल्डर से मकान खरीदें हैं।

Faridabad न्यूज़

Greater Faridabad: ग्रेटर फरीदाबाद की ही एसआरएस सोसायटी (SRS Society) में रहने वाले सैंकड़ों परिवारों पर गाज गिर पड़ी है। प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले दिनों एसआरएस सोसयटी में रहने वाले 1377 मकानों को दस दिन के भीतर खाली करने का नोटिस जारी किये थे। जबकि इन लोगों ने जीवन भर की कमाई और बैंकों से लोन लेकर बिल्डर से मकान खरीदें हैं। बताया गया है कि बिल्डर ने अपनी सम्पतियों पर कैनरा बैंक से करोड़ों रुपये का लोन लिया था। भुगतान न होने की वजह से प्रवर्तन निदेशालय ने सम्पत्तियों को अटैच कर दिया है। इसी वजह से लोगों को मकान खाली करने के लिए कहा जा रहा है। जबकि बिल्डर लोगों से मकानों की पूरी कीमत वसूल चुका है। नोटिस मिलने के बाद से लोग अपने मकानों को बचाने के प्रयास में जुटे हैं। उनका मामला फिलहाल हरियाणा रियल एस्टेट रेगूलेटरी ऑथोरिटी में विचाराधीन है।

मुश्किल से मिला था घर

एसआरएस सोसायटी के निवासियों का कहना था कि लाखों रुपये का भुगतान करने के बाद भी उन्हें अपना फ्लैट हासिल करने के लिए काफी जद्दो-जहद करनी पड़ी थी। वर्ष 2014 में उन्हें किसी तरह मकान की पॉजिशन मिली थी। इस दौरान अनेक लोगों ने बैंकों से लोन लेकर तो कुछ लोगों ने अपनी जिंदगी भर की जमा पूंजी की मदद से बिल्डरों को मकान की पूरी कीमत दी थी। जिसके बाद काफी संख्या में तो लोगों ने बिल्डरों पर दबाव बना कर मकानों की रजिस्टरी अपने नाम पर करवा ली, लेकिन इसके बाद बिल्डर अन्य मकानों की रजिस्टरी करवाने में आनाकानी करने लगा। किसी तरह का विवाद उत्पन्न न हो जिसे देखते हुए बिल्डर ज्यादा दबाव आने पर कभी कभार दो-दो, चार लोगों की रजिस्टरी बाद में करवाता रहा। करीब 1377 यूनिट ऐसे रह गए, जो रजिस्टरी नहीं करवा पाए। इनमें मकान, व्यवसायिक स्थल और स्कूल समेत अन्य इमारते शामिल हैं।

डर के साये में चार साल

एसआरएस सोसायटी के विभिन्न टावरों में ज्यादातर लोग ने वर्ष 2014 में पजेशन मिलने के बाद रहना शुरू कर दिया था। वर्ष 2017 में अचानक लोगों पर उस समय गाज गिर गई, जब उन्हें पता चला कि बिल्डर ने उनके मकानों पर कैनरा बैंक से लोन लिया हुआ है। बैंक की तरफ से लोगों को मकान खाली करने के लिए कहा गया था। वर्ष 2020 में इसी तरह का नोटिस प्रवर्तन निदेशालय ने एसआरएस सोसायटी की आरडब्ल्युए को जारी किया। आरडब्ल्युए के पदाधिकारियों ने निदेशालय के गुरूग्राम स्थित कार्यालय में जाकर अपना पक्ष भी रखा था। निदेशालय ने फिर 26 फरवरी 2022 को सोसायटी परिसर में नोटिस चस्पा कर लोगों को मकान खाली करने के आदेश दिये थे। निदेशालय की डायरेक्शन में लोगों ने हरियाण रियल एस्टेट रेगूलेटरी ऑथोरिटी के समक्ष अपना पक्ष रखा है जहां मामला विचारधीन है।

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परेशानी में सैंकड़ों निर्दोष लोग

एसआरएस सोसायटी के निवासियों का कहना है कि यदि बिल्डर ने बैंक से लोन लिया और बैंक का पैसा नहीं लौटाया तो इसमें उनका कोई दोष नहीं हैं। उन्होंने बिल्डर को मकान की पूरी कीमत चुका दी है। ज्यादातर लोगों ने बैंक से लोन लेने के बाद बिल्डर को मकानों को पूरा भुगतान किया है। जिसकी रसीदें और अन्य सबूत उनके पास मौजूद हैं। लेकिन संबंधित अधिकारियों ने उनकी सुने बिना एक तरफा फैसला सुना दिया। ऐसे में खून पसीने की कमाई से पैसा चुकाने के बावजूद उनके लिए बेघर होने की नौबत आ गई है। उनकी रात की नींद और दिन का चैन छीन गया है। लोग एक जुट होकर समाधान के लिए रणनीति बना रहे हैं।

निर्दोष लोगों पर गिरी गाज

एसआरएस सोसायटी में रहने वाले दयाशंकर चौबे का कहना है कि बिल्डर की करनी की सजा आम लोगों को भुगतनी पड़ रही है। जबकि इन लोगों का कोई कसूर नहीं है। इन लोगों ने बिल्डर को मकान की पूरी कीमत दे दी है। कीमत लेने के बाद भी बिल्डर रजिस्टरी करवाने के नाम पर लोगों को लगातार टालता रहा है। बिल्डर द्वारा बैंक का भुगतान न करने पर अब प्रवर्तन निदेशालय ने नोटिस जारी कर लोगों को मकान खाली करने का आदेश दिया है।

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