आखिर क्यों गुमनाम होते जा रहे हैं कनॉट प्लेस के धोबी !

इस धोबी घाट में आज भी बहुत से धोबियों के परिवार अपने पूर्वजों की विरासत को संभाले हुए जीवन की समस्याओं से दो चार हो रहे हैं।

Delhi न्यूज़

Delhi: क्या आपने कनॉट प्लेस में धोबी घाट (washermen) देखा है, चौंकिए मत! कनॉट प्लेस में भी एक धोबी घाट है, वो भी लगभग 55 साल पुराना। कनॉट प्लेस के बाहरी इलाके में अग्रसेन की बावली (कस्तूरबा गांधी मार्ग के पास) से ही थोड़ा आगे एक विस्तृत धोबी घाट है। ऊंची ऊंची अट्टालिकाओं के बीच स्थित यह धोबी घाट थोड़ा अजीब सा लगता है। इस धोबी घाट में आज भी बहुत से धोबियों के परिवार अपने पूर्वजों की विरासत को संभाले हुए जीवन की समस्याओं से दो चार हो रहे हैं।

1960 के दशक के आसपास ये धोबी गोल मार्केट बिड़ला मंदिर के पास झुग्गियों में रहते थे। बाद में सरकार ने उन झुग्गियों को उजाड़ दिया और इन धोबियों को यहां बसा दिया गया। यहां इन धोबियों को घर भी दिए गए। आज यहां धोबियों के कुल 64 घर हैं, जिनमें से 60 धोबी के परिवारों को दिए गए हैं और बाकी चार सरकारी अधिकारियों को आवंटित किए गए।

आज भी इस धोबी घाट के धोबी अपने पूर्वजों को विरासत संभाले हुए हैं। इनके कार्य का कोई निश्चित समय नहीं है, कुछ देर रात तक काम करते हैं और इनमें से कुछ लोग सुबह जल्दी काम करना पंसद करते हैं। ये लोग दिल्ली के कोने कोने से जैसे पंचशील पार्क और ग्रेटर कैलाश तक से कपड़े लाकर लॉन्ड्री करते हैं और वापस उन्हें पहुंचाते हैं।

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इन लोगों के साथ बातचीत ही इनकी दुर्दशा को समझने के लिए काफी है। कोविड महामारी के बाद से ये समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहां पर रहने वाली किरण देवी (85) जो खुद धोबी थीं आजकल अपने बेटे के व्यवासय में मदद करती हैं। वे कहती है कि आज के समय में धोबी समुदाय बहुत असहाय है। लॉकडाउन के बाद से हमारा काम बहुत प्रभावित हुआ है। वे नहीं चाहती कि उनकी आगे की पीढ़ियां भी इसी काम में आएं। वे कहती हैं कि हम अशिक्षित और असहाय थे लेकिन मैंने अपने सभी बच्चों और पोते पोतियों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित किया है। आज के दौर में सिर्फ इस काम से गुजारा चलाना बहुत मुश्किल है।

यहां पर मौजूद कुछ अन्य लोगों ने बताया कि कोविड महामारी के बाद से उनका काम गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है, जिस कारण उन लोगों पर भारी कर्ज हो गया है। क्योंकि उन्होंने कोई खास पढ़ाई लिखाई नहीं की इसलिए उन्हें कोई नौकरी मिलने की भी संभावना नहीं है।

इन समस्याओं को दूर करने के लिए, धोबी के पूरे समुदाय ने अपने बच्चों को स्कूल जाने और उचित शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया है। उचित शिक्षा से ये बच्चे भविष्य में अच्छी नौकरी पा सकते हैं और अपने परिवार के उत्थान में मदद कर सकते हैं। ये बच्चे न सिर्फ स्कूल जाते हैं बल्कि कपड़े धोकर अपने परिवार की मदद भी करते हैं।

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