World Health Day 2023: विश्व स्वास्थ्य संगठन 7 अप्रैल 2023 को अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. 75वीं वर्षगांठ को खास बनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन सार्वजनिक स्वास्थ्य सफलताओं का आंकलन भी करेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन की नींव के साथ ही विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत हुई. विश्व के कई देशों ने एक साथ मिलकर वर्ष 1948 में लोगों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और लोगों को बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए डब्ल्यूएचओ यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना की. यह संगठन दुनियाभर में बेहतर हेल्थ के लिए काम कर रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को करने के दो वर्ष बाद वर्ष 7 अप्रैल 1950 में पहला विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया गया. प्रारंभ में विश्व स्वास्थ्य संगठन में बहुत कम देश थे लेकिन धीरे-धीरे समय से साथ सदस्य देशों की संख्या बढ़ती गयी। वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन में 193 सदस्य देश शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में प्रति वर्ष 1.3 करोड़ से अधिक मौतें पर्यावरणीय कारणों से होती हैं। इसमें जलवायु जैसे संकट शामिल है जो मानवता के सामने सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा बनते नज़र आ रहे है.
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जलवायु संकट को भी एक स्वास्थ्य संकट माना है. विगत कुछ वर्षों से विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व स्वास्थ्य दिवस को एक थीम के रूप में मनाता आ रहा है. हर साल इस तिथि के लिए एक विषय चुना जाता है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र पर प्रकाश डालता है. इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन हेल्थ फॉर ऑल थीम पर कार्य कर रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतर्गत विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को दुनियाभर में वर्ल्ड हेल्थ डे मनाते हुए स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दों के बारे में लोगों के बीच जागरुकता फैलाने और चिकित्सा के क्षेत्र में हो रही रिसर्च व नई दवाओं के बारे में लोगों को जानकारी देने के उद्देश्य से आयोजन करता है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि हमारे राजनीतिक, सामाजिक और व्यावसायिक निर्णय जलवायु और स्वास्थ्य संकट को बढ़ा रहे हैं। नब्बे प्रतिशत से अधिक लोग जीवाश्म ईंधन के जलने से होने वाली प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं. तापमान के बदलाव में मच्छर पहले से कहीं ज्यादा तेजी से बीमारियां फैला रहे हैं. मौसम की अकारण घटनाएं, भूमि क्षरण और स्वच्छ पानी की कमी लोगों को विस्थापित कर उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है. प्रदूषण और प्लास्टिक महासागरों, ऊंचे पहाड़ों के तल व जीवन शैली के निकट पसर चुके हैं, यहां तक कि प्लास्टिक ने हमारी खाद्य श्रृंखला में भी अपना रास्ता बना लिया है. अत्यधिक प्रसंस्कृत, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों का उत्पादन करने वाली प्रणालियां मोटापे के खतरों को बढ़ा रही हैं, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक तिहाई पैदा करते हुए कैंसर और हृदय रोग को बढ़ा रहे हैं।
कोविड-19 महामारी ने हमें विज्ञान के माध्यम से उपचार करने की शक्ति दिखाई, इसने हमारी दुनिया में असमानताओं को भी उजागर किया. महामारी ने समाज के सभी क्षेत्रों में कमजोरियों को उजागर किया है विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आने वाली पीढ़ियों के लिए समान स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध स्थायी कल्याणकारी समाज बनाने की जरूरत को उजागर किया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वर्ष वर्ल्ड हेल्थ डे की थीम “हेल्थ फॉर ऑल” ( Health for All ) के माध्यम से इस सोच को दर्शाने का प्रयास कर रहा है कि स्वास्थ्य एक बुनियादी मानव अधिकार है. जब भी किसी को स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जो भी मदद चाहिए, वो बिना किसी वित्तीय कठिनाइयों के उसको मिलनी चाहिए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वास्थ्य पर खर्च होने वाले पैसे के अभाव में लगभग दो अरब लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं. यही कारण है कि विश्व की 30 प्रतिशत आबादी अब तक जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं तक भी नहीं पहुंच सकी है. विश्व भर में तकरीबन 930 मिलियन लोगों को अपने घरेलू बजट का दस प्रतिशत या इससे ज्यादा स्वास्थ्य पर खर्च करना पड़ रहा है. जिसके चलते उनकी आर्थिक हालत खराब हो रही है.