मंडी हाउस स्थित ललित कला अकादमी (Lalit Kala Akademi)में 62वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, जिसमें देश के अनेक सम्मानित कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। इससे कलाप्रेमियों को इन कलाकारों की विशिष्ठ कृतियों को करीब से देखने का मौका मिलेगा। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन 9 अप्रैल को विज्ञान भवन में आयोजित अकादमी पुरस्कार वितरण समारोह के साथ ही केंद्रीय संस्कृति मंत्री किशन रेड्डी द्वारा किया गया था।
एनइए प्रति वर्ष देशभर से बेहतरीन कलाकृतियों को एक मंच पर लेकर आता है। इस राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य भारत में उभरती समकालीन कलाकृतियों पर करीब से नजर डालना है। आप भारत के विभिन्न कोनों से आए कई मशहूर कलाकारों की कलाकृतियां यहां पर देख सकते हैं। प्रदर्शनी में लगभग बीस राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कलाकारों की कृतियों को भी प्रदर्शित किया गया है।
इस वर्ष पुरस्कार विजोताओं की सूची में आनंद नारायण दाबली भी शामिल हैं, जिनकी बनाई हुई ऐक्रलिक पेंटिंग को प्रदर्शनी के कैटलॉग का कवर बनाया है। इसके अलावा विजेताओं में देवेश उपाध्याय, दिग्विजय खटुआ, प्रभु हरसूर, शिवानंद शगोती आदि भी शामिल हैं।
देवेश उपाध्याय निर्मित केयरटेकर नामक सिरेमिक की मूर्तियां एक व्यंग्यात्मक कृति है, जो अपने अंदर गहरे अर्थों को समेटे हुए है। इस कलाकृति में मानव चेहरे की गुड़िया जैसी संरचना के माध्यम से मानवीय स्वभाव के दोहरेपन, स्वार्थ और गैर जिम्मेदारी भरी मानसिकता को दर्शाया गया है।
दिग्विजय खटुआ की पेंटिंग का शीर्षक रचनात्मक भूमि है, जो शहरी निर्मित संरचनाओं और लोगों के परस्पर संबंधों पर जोर देती है। इन चि़त्रों में घने शहर जैसे जंगल और भीड़ को चित्रित करने के लिए परत दर परत कागज़ की कटिंग का उपयोग किया गया है।
शिवानंद शगोती की ऐक्रेलिक पेटिंग जर्नी विदाउट डेस्टिनेशन है, जो जीवन के अंतहीन और अधूरे सपनों को दर्शाती है। जीवन की कठिनाइयों को प्रतीकात्मक रूप से एक सब्ज़ी विक्रेता की गाड़ी के रूप में दिखाया गया है, जिसकी चिंता इस भौतिकवादी दुनिया में बस टिके भर रहना है।