कौन से सच बताती है ये कविता
सोशल मीडिया के इस ज़माने में हमें सकारात्मकता का ज्ञान देने वाली बहुत सी बातें पढ़ने-सुनने को मिल जाती हैं, लेकिन सच ये है कि अपने दुख के साथ हर व्यक्ति कल भी अकेला था और आज भी अकेला है।
Continue Readingसोशल मीडिया के इस ज़माने में हमें सकारात्मकता का ज्ञान देने वाली बहुत सी बातें पढ़ने-सुनने को मिल जाती हैं, लेकिन सच ये है कि अपने दुख के साथ हर व्यक्ति कल भी अकेला था और आज भी अकेला है।
Continue Readingजिनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। वे पिता किस तरह से यादों का हिस्सा बनकर जीवन भर हर कदम पर साथ चलते हैं, इसी एहसास को साझा करने की कोशिश है, दामिनी यादव की ये कविता, ‘मेरे पिता’।
Continue Readingआज के इस डिजिटल युग में जब महिलाएं हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं, तब भारत के अनेक हिस्सों में माहवारी को लेकर कई प्रकार की कुप्रथाएं आज भी जिंदा हैं।
Continue Reading